Exposed Indian media, truth of indian media, health tips, good accompaniment, satsang, news that is not shown in the media, talk of sacrament
ग्रीष्मऋतु में क्या खाये क्या नहीं
वसन्त ऋतु में क्या खाये क्या नहीं
छिपकली, मक्खी, चिंटी, खटमल, चूहों, मच्छरो और कॉकरोच से छुटकारा पाने के घरेलू उपाय
1. कॉकरोच इस उपाय के डर से घबराये :
खाली कॉलिन स्प्रे की बोटल में नहाने वाली साबुन का घोल भर लें । कॉकरोच दिखने पर उनके ऊपर इसका स्प्रे कर दें । साबुन का यह घोल कॉकरोच को मार देता है । रात के समय सोने से पहले वॉशबेसिन आदि के पाईप के पास भी इस घोल का अच्छी मात्रा में स्प्रे कर देना चाहिये ऐसा करने से कॉकरोच नाली के रास्ते घर में अंदर नही घुस पायेंगे।
2. चींटी नही आयेगी घर मे :
चींटी अगर घर में एक जगह बना लेती हैं तो जगह जगह से निकलने लगती हैं। चींटी के रास्ते बंद करने का सबसे अच्छा उपाय यह है कि उनके निकलने की जगह पर एक दो स्लाईस कड़वे खीरे के रख दें। कड़वे खीरे की महक से चींटी दूर भागती हैं और जब उनके निकलने की जगह पर ही यह स्लाईस रखा होगा तो वे निकलेंगी ही नहीं।
चींटियों के बिल के मुहाने पर लौंग फँसा कर रखदेने से चींटियॉ उस रास्ते का प्रयोग करना ही बंद कर देती हैं ।
3. मक्खियाँ निकट भी ना आये :
घर में उड़ने वाली मक्खियों से मुक्ति पाने के लिये नीम्बू का इस्तेमाल करना चाहिये । नीम्बू मक्खियों को दूर करने का बहुत कारगर उपाय है । घर में पोछा लगाते समय पानी में 2-3 नीम्बू का रस निचोड़ देना चाहिये । नीम्बू की महक से कई घण्टे तक मक्खियॉ दूर रहती हैं और घर में ताजगी का भी अहसास होता रहता है ।
4. मच्छर को भगाये :
मच्छर भगाने के लिये कमरे मे नीम के तेल का दीपक सावधानी के साथ जलायें इसके अलावा ऑलआउट की खाली बोतल में भी नीम का तेल भरकर मशीन में लगाकर प्रयोग किया जा सकता है । जो कि पूरी तरह सुरक्षित है ।
6. घरेलु कीटों के इंफेक्शन से बचाव :
घर से सभी तरह के इंफेक्शन को खत्म करने के लिये आम की सूखी टहनी पर कपूर और हल्दी पाउडर डालकर सुलगाना चाहिये। लगभग 12 इंच लम्बी टहनी को जलाना पर्याप्त होता है ।
7. चूहे से छुटकारा :
पुदीना :
पुदीना यदि चूहे ने पूरे घर में आतंक सा फैला दिया है तो आप इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए पुदीने की पत्ती या फूल को लेकर कूट लें और इसे चूहे के बिल के पास या आने वाली जगहों के पास रख दें। इसकी गंध को पाकर चूहे तुरंत ही भाग जायेगें।
तेज़ पत्ता :
वैसे तो तेज पत्ते को चावल यां सब्जी में डाला जाता है लेकिन चूहे भगाने के लिए भी यह कारगर साबित होता है।
लाल मिर्च :
लाल मिर्च खाने में प्रयोग होने वाली लाल मिर्च चूहों को भगाने के लिए काफी कारगर है। जहां से चूहें ज्यादा आते है वहां पर लालमिर्च का पाउडर डाल दें इतना करने से चूहें घर में नहीं घर से बाहर जाते दिखेंगे।
फिनाइल की गोलियां :
फिनाइल की गोलियों को कपड़ों में रखकर चूहों से बचाया जा सकता है। इस तरह से चूहें घर में भी नहीं आएंगे।
इंसानों के बाल :
चूहों को घर से भगाने का सबसे असान तरीका है इंसानों के बाल। आप जानकर भले ही आपको आश्चर्य होगा पर चूहों को भगाने का यह सबसे सही तरीका है क्योंकि इंसानों के बाल से चूहे भागते हैं। क्योंकि इसको निगलने से इनकी मौत हो जाती है इसलिए इसके नजदीक आने से ये काफी डरते है।
प्याज :
घर की सफाई के बाद भी, चूहों से परेशान हैं ,चूहे प्याज की गंध बिल्कुल पसंद नहीं करते। चूहे प्याज से बहुत दूर भागते हैं प्याज के टुकड़े वहाँ रखें जहां से चूहों आपके घर में आते हैं।
छिपकली नज़र भी ना आये :
अंडे के छिलके :
छिपकलियाँ अंडे के छिलकों की गंध से दूर भागती हैं। दरवाजों तथा खिड़कियों और घर में एनी स्थानों पर अंडे के छिलके रख देने से छिपकली घर के अंदर नहीं घुसती।
लहसुन :
छिपकली लहसुन की गंध से भी दूर भागती हैं। छिपकलियों को घर से दूर रखने के लिए घर में लहसुन की कलियाँ टांगें या घर में लहसुन के रस का छिडकाव करें।
कॉफ़ी और तंबाकू की छोटी गोलियाँ :
कॉफ़ी तथा तंबाकू के पाउडर की छोटी छोटी गोलियाँ बनायें तथा इन्हें माचिस की तीली या टूथपिक पर चिपका दें। इन्हें अलमारियों में या ऐसे स्थान पर रख दें जहाँ छिपकली अक्सर दिखाई देती है।
औषधीय गुणों से भरपूर व विविध रोगों में लाभदायी तोरई
तोरई पथ्यकर (स्वास्थ्य के लिए हितकर), औषधीय गुणों से युक्त व स्वादिष्ट सब्जी है । आयुर्वेद के अनुसार यह स्निग्ध, शीतल, भूखवर्धक, मल-मूत्र को साफ लाने में सहायक व कृमिनाशक होती है । यह पित्त-विकृति को दूर करती है फिर भी कफवर्धक नहीं है । उष्ण प्रकृतिवालों के लिए एवं पित्तजन्य व्याधियों तथा सूजाक (gonorrhoea), बवासीर, पेशाब में खून आना, नकसीर, रक्तपित्त, दमा, खाँसी, बुखार एवं बुखार के बाद आयी हुई कमजोरी, कृमि, अरुचि, पीलिया आदि में यह विशेष पथ्यकर है । यह शरीर में तरावट लाती है तथा रोगों से बचाती है ।
आधुनिक अनुसंधान के अनुसार तोरई में विटामिन ‘बी’ व ‘सी’ एवं मैग्नेशियम, कैल्शियम, फॉस्फोरस, जिंक, लौह तत्त्व, रेशे (fibres), बीटा केरोटिन और थायमीन प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं । तोरई शुक्रधातु की क्षीणता से दुर्बल हुए व्यक्ति, श्रमजीवी व बालकों को विशेष शक्ति प्रदान करनेवाली है । इसका सेवन कम-से-कम मसाले डालकर सब्जी, सूप बना के अथवा दाल के साथ पका के हफ्ते में 2-3 बार करना चाहिए ।
इसमें जीवाणुरोधी गुण पाये जाते हैं । इसका आहार में समावेश करने से आमाशय-अल्सर (gastric ulcer) से रक्षा होती है । यह हड्डियों को मजबूत करने में सहायक है ।
तोरई के सेवन से होनेवाले लाभ
(1) इसमें पाया जानेवाला बीटा केरोटिन नेत्रज्योति बढ़ाने में सहायक है ।
(2) यह रक्तशुद्धि करने तथा यकृत (Liver) के स्वास्थ्य को सुधारने में भी फायदेमंद है ।
(3) तोरई में रेशे होने के कारण जिन लोगों को पाचनतंत्र के विकार रहते हों उनके लिए इसका सेवन अधिक लाभप्रद है । जिन्हें कब्ज की शिकायत रहती हो उन्हें शाम के भोजन में तोरई की रसदार सब्जी खानी चाहिए । पाचन में सुधार होने के कारण तोरई के सेवन से त्वचा में निखार आता है ।
(4) घी में जीरे का छौंक लगाकर धनिया डाल के बनायी गयी तोरई की सब्जी खाने से नकसीर, रक्तपित्त, बवासीर तथा शरीर व पेशाब में होनेवाली जलन में लाभ होता है ।
(5) तोरई शराब व नशे के दुष्प्रभाव को कम करने में मदद करती है ।
(6) इसमें वसा, कोलेस्ट्रॉल व कैलोरी कम होने के कारण यह वजन कम करने तथा हृदयरोग व मधुमेह (diabetes) में लाभदायी है ।
(7) पेट के कीड़े नष्ट करने के लिए तोरई की सब्जी नियमित खायें अथवा तोरई को पानी में उबालकर सूप बनायें व उसमें नमक मिला के दिन में दो बार लें ।
सावधानी : पेचिश, मंदाग्नि, बार-बार मल-प्रवृत्ति की समस्या में तोरई का सेवन नहीं करना चाहिए । पुरानी व सख्त तोरई नहीं खानी चाहिए ।x
अगर हिंदू धर्म बुरा है
(1) तो क्यो
"नासा-के-वैज्ञानीको"
ने माना की
सूरज
से
""
" ॐ "
" "
की आवाज निकलती है?
(2) क्यो 'अमेरिका' ने
"भारतीय - देशी - गौमुत्र" पर
4 Patent लिया ,
व,
कैंसर और दूसरी बिमारियो के
लिये दवाईया बना रहा है ?
जबकी हम
" गौमुत्र "
का महत्व
हजारो साल पहले से जानते है,
(3) क्यो अमेरिका के
'सेटन-हाल-यूनिवर्सिटी' मे
"गीता"
पढाई जा रही है?
(4) क्यो इस्लामिक देश 'इंडोनेशिया'. के Aeroplane का नाम
"भगवान नारायण के वाहन गरुड" के नाम पर "Garuda Indonesia" है, जिसमे garuda का symbol भी है?
(5) क्यो इंडोनेशिया के
रुपए पर
"भगवान गणेश"
की फोटो है?
(6) क्यो 'बराक-ओबामा' हमेशा अपनी जेब मे
"हनुमान-जी"
की फोटो रखते है?
(7) क्यो आज
पूरी दुनिया
"योग-प्राणायाम"
की दिवानी है?
(8) क्यो भारतीय-हिंदू-वैज्ञानीको"
ने
' हजारो साल पहले ही '
बता दिया की
धरती गोल है ?
(9) क्यो जर्मनी के Aeroplane का
संस्कृत-नाम
"Luft-hansa"
है ?
(10) क्यो हिंदुओ के नाम पर 'अफगानिस्थान' के पर्वत का नाम
"हिंदूकुश" है?
(11) क्यो हिंदुओ के नाम पर
हिंदी भाषा,
हिन्दुस्तान,
हिंद महासागर
ये सभी नाम है?
(12) क्यो 'वियतनाम देश' मे
"Visnu-भगवान" की
4000-साल पुरानी मूर्ति पाई
गई?
(13) क्यो अमेरिकी-वैज्ञानीक
Haward ने,
शोध के बाद माना -
की
"गायत्री मंत्र मे " 110000 freq "
के कंपन है?
(15) अगर हिंदू-धर्म मे
"यज्ञ"
करना
अंधविश्वास है,
तो ,
क्यो 'भोपाल-गैस-कांड' मे,
जो "कुशवाह-परिवार" एकमात्र बचा,
जो उस समय यज्ञ कर रहा था,
(16) 'गोबर-पर-घी जलाने से'
"१०-लाख-टन आक्सीजन गैस"
बनती है,
(17) क्यो "Julia Roberts"
(American actress and producer)
ने हिंदू-धर्म
अपनाया और
वो हर रोज
"मंदिर"
जाती है,
(18)
अगर
"रामायण"
झूठा है,
तो क्यो दुनियाभर मे केवल
"राम-सेतू"
के ही पत्थर आज भी तैरते है?
(19) अगर "महाभारत" झूठा है,
तो क्यो भीम के पुत्र ,
''घटोत्कच''
का विशालकाय कंकाल,
वर्ष 2007 में
'नेशनल-जिओग्राफी' की टीम ने,
'भारतीय-सेना की सहायता से'
उत्तर-भारत के इलाके में खोजा?
(20) क्यो अमेरिका के सैनिकों को,
अफगानिस्तान (कंधार) की एक
गुफा में ,
5000 साल पहले का,
महाभारत-के-समय-का
"विमान"
मिला है?
ये जानकारिया आप खुद google मे search कर
सकते है . .....
Plz aapke sabhi group me send kare plz
हनुमान चालीसा में एक श्लोक है:-
जुग (युग) सहस्त्र जोजन (योजन) पर भानु |
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ||
अर्थात हनुमानजी ने
एक युग सहस्त्र योजन दूरी पर
स्थित भानु अर्थात सूर्य को
मीठा फल समझ के खा लिया था |
1 युग = 12000 वर्ष
1 सहस्त्र = 1000
1 योजन = 8 मील
युग x सहस्त्र x योजन = पर भानु
12000 x 1000 x 8 मील = 96000000 मील
1 मील = 1.6 किमी
96000000 x 1.6 = 1536000000 किमी
अर्थात हनुमान चालीसा के अनुसार
सूर्य पृथ्वी से 1536000000 किमी की दूरी पर है |
NASA के अनुसार भी सूर्य पृथ्वी से बिलकुल इतनी ही दूरी पर है|
इससे पता चलता है की हमारा पौराणिक साहित्य कितना सटीक एवं वैज्ञानिक है ,
इसके बावजूद इनको बहुत कम महत्व दिया जाता है |
.
भारत के प्राचीन साहित्य की सत्यता
Diebetes / शुगर का सच
*एक नंगा सच.. जानिये.!*
👌👌👌👌
*लूट मचाने के लिए दवा कंपनियाँ किस हद तक गिर सकती आप अनुमान भी नहीं लगा सकते..*
*अभी कुछ समय पूर्व स्पेन मे शुगर की दवा बेचने वाली बड़ी-बड़ी कंपनियो की एक बैठक हुई है ,दवाओ की बिक्री बढ़ाने के लिए एक सुझाव दिया गया है कि अगर शरीर मे सामान्य शुगर का मानक 120 से कम कर 100 कर दिया जाये तो शुगर की दवाओं की बिक्री 40 % तक बढ़ जाएगी*
आपकी जानकारी के लिए बता दूँ *बहुत समय पूर्व शरीर मे सामान्य शुगर का मानक 160 था दवाओ की बिक्री बढ़ाने के लिए ही इसे कम करते-करते 120 तक लाया गया है जिसे भविष्य मे 100 तक करने की संभावना है!*
ये *एलोपेथी दवा कंपनियाँ लूटने के लिए किस स्तर तक गिर सकती है ये इसका जीता जागता उदाहरण है आज मैडीकल साईंस के अनुसार शरीर मे सामान्य शुगर का मानक 80 से 120 है*
अब मान लो दवा कंपनियो के साथ मिलीभगत कर इन्होने कुछ फर्जी शोध की आड़ मे नया मानक 70 से 100 तय कर दिया, अब अच्छा भला व्यक्ति शुगर टेस्ट करवाये और शुगर का सतर 100 से 110 के बीच आए ,तो डाक्टर आपको शुगर का रोगी घोषित कर देगा,
*भय के कारण आप शुगर की एलोपेथी दवाएं लेना शुरू कर देंगे, अब शुगर तो पहले से सामान्य थी आपने जो भय के कारण शुगर कम करने की दवा ली तो उल्टा शरीर मे और कमजोरी महसूस होने लगेगी*
और
*आप फिर इस अंधी खाई मे गिरते चले जाएंगे*
और मान लो आप जैसे 2 -3 करोड़ लोग भी इस साजिश का शिकार हुए तो ये एलोपेथी दवा कंपनियाँ लाखो करोड़ का व्यापार कर डालेंगी
*एक नंगा सच.. जानिये.! क्या आप जानते हैं.....*
*1997 से पहले fasting diebetes की limit 140 थी।*
*फिर fasting sugar की limit 126 कर दी गयी।*
इससे *World Population में 14% diebetec लोग अचानक बढ़ गए।*
उसके बाद *2003 में WHO ने फिर से fasting sugar की limit कम करके 100 कर दी।*
याने *फिर से total Population के करीबन 70% लोग Diebetec माने जाने लगे।*
दरअसल diebetes ratio या limit तय करने वाली कुछ pharmaceutical कंपनियां थीं जो WHO को घूस खिलाकर अपने व्यापार को बढ़ाने के लिये ये सब करवा रही थीं।
और अपना बिज़नेस बढ़ाने के लिए ये किया जाता रहा।
लेकिन क्या *आपको पता है कि
हकीकत में डायबिटीज को कैसे जांचना चाहिए ?*
कैसे पता चलेगा कि आप डायबिटीज के शिकार हैं भी या नहीं ?
पुराने जमाने के इलाज़ के हिसाब से
*डायबिटीज चेक करने का एक सरल उपाय है :-*
*आप की उम्र और + 100*
*जी हाँ यही एक सचाई है*
अगर आपकी उम्र 65 है तो आपका सुगर लेवल खाने के बाद 165 होना चाहिये।
*अगर आपकी age 75 है तो आपका नॉर्मल सुगर लेवेल खाने के बाद 175 होना चाहिए।*
अगर ऐसा है तो इसका मतलब आपको डायबिटीज नहीं है।
ये होता है age के हिसाब से यानी..
So now you can count your diebetec limit as 100 + your age.
*अगर आपकी उम्र 80 है तो फिर आपकी डायबिटिक लिमिट खाने के बाद 180 काउंट की जानी चाहिये।*
मतलब अगर आपका सुगर लेवल इस उम्र में भी 180 है तो आप डायबिटिक नहीं हैं।
आपकी गिनती नॉर्मल इंसान जैसी होनी चाहिये।
लेकिन W.H.O. को अपने कॉन्फिडेंस में लेकर बहुत सारी फार्मा कम्पनियों ने अपने व्यापार के लिये सुगर लेवेल में उथल पुथल कर दी और आम जनता उस चक्रव्यूह में फंस गई।
No Doctor can guide u.
No one will advice u.
But its a bitter truth.!
उसके साथ साथ एक सच ये भी है कि--
अगर आपकी पाचन शक्ति उत्तम है तो आपको कोई टेंशन लेने की कोई जरूरत नहीं है
या फिर आप अपने जीवन में कोई टेंशन नहीं लेते।
आप अच्छा खाना खाते हो
आप जंक फूड, ज्यादा मसालेदार या तैलीय भोजन या फ़्राईड फूड नहीं खाते
आप रेगुलर योगा या कसरत करते हैं
और आपका वजन आपकी हाइट के हिसाब के बराबर है
तो आपको डायबिटीज हो ही नहीं सकती।
यही सत्य है, बस टेंशन न लें अच्छा खाना खाएं, एक्सरसाइज करते रहें।
*जागो और दूसरों को जगाओ !*
गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस : 24 नवम्बर
धर्म की रक्षा के लिए किया प्राणों का बलिदान*
*धरम हेत साका जिनि की आसीस दीआ पर सिरड न दीआ ।*
🌹इस महावाक्य अनुसार गुरु तेग बहादुर साहब का बलिदान न केवल धर्म पालन के लिए नहीं अपितु समस्त मानवीय सांस्कृतिक विरासत की खातिर बलिदान था । विश्व इतिहास में धर्म एवं मानवीय मूल्यों, आदर्शाें एवं सिद्धांत की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वालों में गुरु तेग बहादुर साहब का स्थान अद्वितीय है ।
🌹आततायी शासक की धर्म विरोधी और वैचारिक स्वतंत्रता का दमन करने वाली नीतियों के विरुद्ध गुरु तेग बहादुरजी का बलिदान एक अभूतपूर्व ऐतिहासिक घटना थी । यह उनके निर्भय आचरण, धार्मिक अडिगता और नैतिक उदारता का उच्चतम उदाहरण था । वे शहादत देने वाले एक क्रांतिकारी युग पुरुष थे ।
🌹भगवत्प्राप्त महापुरुष परमात्मा के नित्य अवतार हैं । वे नश्वर संसार व शरीर की ममता को हटाकर शाश्वत परमात्मा में प्रीति कराते हैं । कामनाओं को मिटाते हैं। निर्भयता का दान देते हैं । साधकों-भक्तों को ईश्वरीय आनन्द व अनुभव में सराबोर करके जीवन्मुक्ति का पथ प्रशस्त करते हैं ।
ऐसे उदार हृदय, करुणाशील, धैर्यवान सत्पुरुषों ने ही समय-समय पर समाज को संकटों से उबारा है । इसी शृंखला में गुरु तेगबहादुरजी हुए हैं। जिन्होंने बुझे हुए दीपकों में सत्य की ज्योति जगाने के लिए, धर्म की रक्षा के लिए, भारत को क्रूर, आततायी, धर्मान्ध राज्य-सत्ता की दासता की जंजीरों से मुक्त कराने के लिए अपने प्राणों का भी बलिदान कर दिया ।
🌹हिन्दुस्तान में मुगल बादशाह औरंगजेब का शासनकाल था । औरंगजेब ने यह हुक्म किया कि कोई हिन्दू राज्य के कार्य में किसी उच्च स्थान पर नियुक्त न किया जाय तथा हिन्दुओं पर जजिया (कर) लगा दिया जाय । उस समय अनेकों नये कर केवल हिन्दुओं पर लगाये गये । इस भय से अनेकों हिन्दू मुसलमान हो गये । हर ओर जुल्म का बोलबाला था । निरपराध लोग बंदी बनाये जा रहे थे । प्रजा को स्वधर्म-पालन को भी आजादी नहीं थी । जबरन धर्म-परिवर्तन कराया जा रहा था । किसी की भी धर्म, जीवन और सम्पत्ति सुरक्षित नहीं रह गयी थी । पाठशालाएँ बलात् बन्द कर दी गयीं।
हिन्दुओं के पूजा-आरती तथा अन्य सभी धार्मिक कार्य बंद होने लगे । मंदिरों को तोड़कर मस्जिदें बनवायी गयीं एवं अनेकों धर्मात्मा मरवा दिये गये । सिपाही यदि किसी के शरीर पर यज्ञोपवीत या किसी के मस्तक पर तिलक लगा हुआ देख लें तो शिकारी कुत्तों की तरह उन पर टूट पड़ते थे । उसी समय की उक्ति है कि रोजाना सवा मन यज्ञोपवीत उतरवाकर ही औरंगजेब रोटी खाता था...
🌹उस समय कश्मीर के कुछ पंडित निराश्रितों के आश्रय, बेसहारों के सहारे गुरु तेगबहादुरजी के पास मदद की आशा और विश्वास से पहुँचे ।
पंडित कृपाराम ने गुरु तेगबहादुरजी से कहा : ‘‘सद्गुरुदेव ! औरंगजेब हमारे ऊपर बड़े अत्याचार कर रहा है । जो उसके कहने पर मुसलमान नहीं हो रहा, उसका कत्ल किया जा रहा है । हम उससे छः माह की मोहलत लेकर हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए आपकी शरण आये हैं । ऐसा लगता है, हममें से कोई नहीं बचेगा । हमारे पास दो ही रास्ते हैं-‘धर्मांतरित होओ या सिर कटाओ ।’
🌹पंडित धर्मदास ने कहा : ‘‘सद्गुरुदेव ! हम समझ रहे हैं कि हमारे साथ अन्याय हो रहा है । फिर भी हम चुप हैं और सब कुछ सह रहे हैं । कारण भी आप जानते हैं । हम भयभीत हैं, डरे हुए हैं । अन्याय के सामने कौन खड़ा हो?’’
‘‘जीवन की बाजी कौन लगाये ?’’ गुरु तेगबहादुर के मुँह से अस्फुट स्वर में निकला । फिर वे गुरुनानक की पंक्तियाँ दोहराने लगे ।
*जे तउ प्रेम खेलण का चाउ । सिर धर तली गली मेरी आउ ।।*
*इत मारग पैर धरो जै । सिर दीजै कणि न कीजै ।।*
🌹गुरु तेगबहादुर का स्वर गंभीर होता जा रहा था । उनकी आँखों में एक दृढ़ निश्चय के साथ गहरा आश्वासन झाँक रहा था । वे बोले : ‘‘पंडितजी ! यह भय शासन का है । उसकी ताकत का है, पर इस बाहरी भय से कहीं अधिक भय हमारे मन का है । हमारी आत्मिक शक्ति दुर्बल हो गयी है । हमारा आत्मबल नष्ट हो गया है । इस बल को प्राप्त किये बिना यह समाज भयमुक्त नहीं होगा । बिना भयमुक्त हुए यह समाज अन्याय और अत्याचार का सामना नहीं कर सकेगा ।’’
🌹पंडित कृपाराम : ‘‘परन्तु सद्गुरुदेव । सदियों से विदेशी पराधीनता और आन्तरिक कलह में डूबे हुए इस समाज को भय से छुटकारा किस तरह मिलेगा ?’’
🌹गुरु तेगबहादुर : ‘‘हमारे साथ सदा बसनेवाला परमात्मा ही हमें वह शक्ति देगा कि हम निर्भय होकर अन्याय का सामना कर सकें ।’’
उनके मुँह से शब्द फूटने लगे :
पतित उधारन भै हरन हरि अनाथ के नाथ । कहु नानक तिह जानिए सदा बसत तुम साथ ।।
इस बीच नौ वर्ष के बालक गोबिन्द भी पिता के पास आकर बैठ गये ।
🌹गुरु तेगबहादुर : ‘‘अँधेरा बहुत घना है । प्रकाश भी उसी मात्रा में चाहिए। एक दीपक से अनेक दीपक जलेंगे। एक जीवन की आहुति अनेक जीवनों को इस रास्ते पर लायेगी।
🌹पं. कृपाराम : ‘‘आपने क्या निश्चय किया है, यह ठीक-ठीक हमारी समझ में नहीं आया । यह भी बताइये कि हमें क्या करना होगा ?’’
🌹गुरु तेगबहादुर मुस्कराये और बोले : ‘‘पंडितजी ! भयग्रस्त और पीड़ितों को जगाने के लिए आवश्यक है कि कोई ऐसा व्यक्ति अपने जीवन का बलिदान दे, जिसके बलिदान से लोग हिल उठें, जिससे उनके अंदर की आत्मा चीत्कार कर उठे । मैंने निश्चय किया है कि समाज की आत्मा को जगाने के लिए सबसे पहले मैं अपने प्राण दूँगा और फिर सिर देनेवालों की एक शृंखला बन जायेगी । लोग हँसते-हँसते मौत को गले लगा लेंगे । हमारे लहू से समाज की आत्मा पर चढ़ी कायरता और भय की काई धुल जायेगी और तब... ।’’
‘‘और तब शहीदों के लहू से नहाई हुई तलवारें अत्याचार का सामना करने के लिए तड़प उठेंगी ।’’
यह बात बालक गोबिंद के मुँह से निकली थी । उन सरल आँखों में भावी संघर्ष की चिनगारियाँ फूटने लगी थी ।
🌹तब गुरु तेगबहादुरजी का हृदय द्रवीभूत हो उठा । वे बोले : ‘‘जाओ, तुमलोग बादशाह से कहो कि हमारा पीर तेगबहादुर है । यदि वह मुसलमान हो जाय तो हम सभी इस्लाम स्वीकार कर लेंगे ।’’
🌹पंडितों ने यह बात कश्मीर के सूबेदार शेर अफगन को कही । उसने यह बात औरंगजेब को लिख कर भेज दी। तब औरंगजेब ने गुरु तेगबहादुर को दिल्ली बुलाकर बंदी बना लिया । उनके शिष्य मतिदास, दयालदास और सतीदास से औरंगजेब ने कहा : ‘‘यदि तुम लोग इस्लाम धर्म कबूल नहीं करोगे तो कत्ल कर दिये जाओगे ।’’
🌹मतिदास : ‘‘शरीर तो नश्वर है और आत्मा का कभी कत्ल नहीं हो सकता।’’
तब औरंगजेब ने मतिदास को आरे से चीरने का हुक्म दे दिया । भाई मतिदास के सामने जल्लाद आरा लेकर खड़े दिखाई दे रहे थे । उधर काजी ने पूछा : ‘‘मतिदास तेरी अंतिम इच्छा क्या है ?’’
🌹मतिदास : ‘‘मेरा शरीर आरे से चीरते समय मेरा मुँह गुरुजी के पिंजरे की ओर होना चाहिए ।’’
🌹काजी : ‘‘यह तो हमारा पहले से ही विचार है कि सब सिक्खों को गुरु के सामने ही कत्ल करें ।’’
🌹भाई मतिदासजी को एक शिकंजे में दो तख्तों के बीच बाँध दिया गया । दो जल्लादों ने आरा सिर पर रखकर चीरना शुरू किया । उधर भाई मतिदासजी ने ‘श्री जपुजी साहिब’ का पाठ शुरू कर दिया । उनका शरीर दो टुकड़ों में कटने लगा। चौक को घेरकर खड़ी विशाल भीड़ फटी आँखों से यह दृश्य देखती रही ।
🌹दयालदास बोले : ‘‘औरंगजेब ! तूने बाबरवंश को एवं अपनी बादशाहियत को चिरवाया है ।’’
यह सुनकर औरंगजेब ने दयालदास को गरम तेल में उबालने का हुक्म दिया । उनके हाथ-पैर बाँध दिये गये । फिर उन्हें उबलते हुए तेल के कड़ाह में डालकर उबाला गया । वे अंतिम श्वास तक ‘श्री जपुजी साहिब’ का पाठ करते रहे । जिस भीड़ ने यह नजारा देखा, उसकी आँखें पथरा-सी गयीं ।
🌹तीसरे दिन काजी ने भाई सतीदास से पूछा : ‘‘क्या तुम्हारा भी वही फैसला है ?’’
भाई सतीदास मुस्कराये : ‘‘मेरा फैसला तो मेरे सद्गुरु ने कब का सुना दिया है ।’’
औरंगजेब ने सतीदास को जिंदा जलाने का हुक्म दिया । भाई सतीदास के सारे शरीर को रूई से लपेट दिया गया और फिर उसमें आग लगा दी गयी । सतीदास निरन्तर ‘श्री जपुजी’ का पाठ करते रहे । शरीर धू-धूकर जलने लगा और उसीके साथ भीड़ की पथराई आँखें पिघल उठीं और वह चीत्कार कर उठी ।
🌹अगले दिन मार्गशीर्ष पंचमी संवत् सत्रह सौ बत्तीस (22 नवम्बर सन् 1675) को काजी ने गुरु तेगबहादुर से कहा : ‘‘ऐ हिन्दुओं के पीर ! तीन बातें तुमको सुनाई जाती हैं । इनमें से कोई एक बात स्वीकार कर लो । वे बातें हैं :
(1) इस्लाम कबूल कर लो ।
(2) करामात दिखाओ ।
(3) मरने के लिए तैयार हो जाओ ।’’
🌹गुरु तेगबहादुर बोले : ‘‘तीसरी बात स्वीकार है ।’’
बस, फिर क्या था ! जालिम और पत्थरदिल काजियों ने औरंगजेब की ओर से कत्ल का हुक्म दे दिया । चाँदनी चौक के खुले मैदान में विशाल वृक्ष के नीचे गुरु तेगबहादुर समाधि में बैठे हुए थे ।
🌹जल्लाद जलालुद्दीन नंगी तलवार लेकर खड़ा था। कोतवाली के बाहर असंख्य भीड़ उमड़ रही थी । शाही सिपाही उस भीड़ को काबू में रखने के लिए डंडों की तीव्र बौछारें कर रहे थे । शाही घुड़सवार घोड़े दौड़ाकर भीड़ को रौंद रहे थे ।
🌹काजी के इशारे पर गुरु तेगबहादुर का सिर धड़ से अलग कर दिया गया । चारों ओर कोहराम मच गया ।
*तिलक जझू राखा प्रभ ताका । कीनों वडो कलू में साका ।।*
*धर्म हेत साका जिन काया । सीस दीया पर सिरड़ न दिया ।।*
*धर्म हेत इतनी जिन करी । सीस दिया पर सी न उचरी ।।*
🌹धन्य हैं ऐसे महापुरुष जिन्होंने अपने धर्म में अडिग रहने के लिए एवं दूसरों को धर्मांतरण से बचाने के लिए हँसते-हँसते अपने प्राणों की भी बलि दे दी ।
*श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात् ।* *स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः ।।*
🌹अच्छी प्रकार आचरण में लाये हुए दूसरे के धर्म से गुणरहित भी अपना धर्म अति उत्तम है । अपने धर्म में तो मरना भी कल्याणकारक है और दूसरे का धर्म भय को देनेवाला है ।
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भारतीय मनोविज्ञान कितना यथार्थ !
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