२७ सितम्बर २००० को जयपुर में मेरे निवास पर पूज्य बापू का 'आत्म-साक्षात्कार दिवस' मनाया गया, जिसमें मेरे पड़ोस की मुस्लिम महिला नाथी बहन के पति, श्री माँगू खाँ, ने भी पूज्य बापू की आरती की और चरणामृत लिया | ३-४ दिन बाद ही वे मुस्लिम दंपति ख्वाजा साहिब के उर्स में अजमेर चले गये | दिनांक ४ अक्टूबर २००० को अजमेर के उर्स में असामाजिक तत्वों ने प्रसाद में जहर बाँट दिया, जिससे उर्स मेले में आये कई दर्शनार्थी अस्वस्थ हो गये और कई मर भी गये | मेरे पड़ोस की नाथी बहन ने भी वह प्रसाद खाया और थोड़ी देर में ही वह बेहोश हो गयी | अजमेर में उसका उपचार किया गया किंतु उसे होश न आया | दूसरे दिन ही उसका पति उसे अपने घर ले आया | कॉलोनी के सभी निवासी उसकी हालत देखकर कह रहे थे कि अब इसका बचना मुश्किल है | मैं भी उसे देखने गया | वह बेहोश पड़ी थी | मैं जोर-जोर से हरि ॐ... हरि ॐ... का उच्चारण किया तो वह थोड़ा हिलने लगी | मुझे प्रेरणा हुई और मैं पुनः घर गया | पूज्य बापू से प्रार्थना की | ३-४ घंटे बाद ही वह महिला ऐसे उठकर खड़ी हो गयी मानों, सोकर उठी हो | उस महिला ने बताया कि मेरे चाचा ससुर पीर हैं और उन्होंने मेरे पति के मुँह से बोलकर बताया कि तुमने २७ सितम्बर २००० को जिनके सत्संग में पानी पिया था, उन्हीं सफेद दाढ़ीवाले बाबा ने तुम्हें बचाया है ! कैसी करूणा है गुरूदेव की !
-जे.एल. पुरोहित,
८७, सुल्तान नगर, जयपुर (राज.)
उस महिला का पता है: -श्रीमती नाथी
पत्नी श्री माँगू खाँ,
१००, सुल्तान नगर,
गुर्जर की धड़ी,
न्यू सांगानेर रोड़,
जयपूर (राज.)
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