ब्रह्मज्ञानी की गति ब्रह्मज्ञानी जाने

डॉ प्रेम जी :-

एक बार भगवान् सूर्य नारायण की कीर्ति और यशोगान सुनकर कुछ उल्लू इर्ष्या द्वेष से जलने लगे । अखिल भारतीय ही नहीं अखिल विश्व उल्लू परिषद् ने फैसला बहाल कर दिया कि सूर्य को हम तेजस्वी नहीं मानते । उसमें प्रकाश नहीं है । क्योंकि हमको उनका प्रकाश दिखता नहीं है । ये फैसला सुनकर उनके मंडल के समर्थक एक पत्रकार ने सूर्य भगवान् से पूछा कि आप किस श्रेणी के हो? अखिल विश्व उल्लू परिषद् आपको तेजस्वी नहीं मानती । सूर्य भगवान् समझ गए कि पूछनेवाला किस श्रेणी का है। जब वह उल्लू की श्रेणी का है तो उसको सत्य से तो कुछ लेनादेना नहीं है । इसलिए सूर्य भगवान् ने उत्तर दिया “अन्धकार की श्रेणी का” ये उत्तर सुनकर वह पत्रकार खुश हो गया और उसे एक अंतर्राष्ट्रीय समाचार के रूप में मीडिया के द्वारा दूसरे उल्लूओं की सहायता से प्रचार करने में लग गया। जितने भी लोग उसी उल्लू श्रेणी के थे वे सब सूर्य भगवान् की बात को सच्ची मानकर उनकी आलोचना करने लगे और अपने अपने comments देने लगे । पर बेचारे ये नहीं समझ पाए कि वे इन कमेंट्स के द्वारा अपने उल्लू होने का परिचय दे रहे है ।

अगर मान ले कि कोई संत गधे की श्रेणी के है तो ये भी मानना पड़ेगा कि ऐसे संत से आशीर्वाद और प्रेरणा पाने के लिए उनके दर्शन और सत्संग सुनने के लिए जानेवाले भारत के 6 प्रधान मंत्री (गुलझारी लाल नंदा, चंद्रशेखर, पी. व्ही. नरसिन्हाराव्, एच.डी. देवेगोवड़ा, अटल बिहारी वाजपेयी, और नरेंद्र मोदी), विभिन्न राज्यों के बीसों मुख्य मंत्री, विभिन्न पक्षों के सैकड़ो MLA और सैकड़ो MP ये सब गधे से निम्न श्रेणी के सिद्ध हो जायेंगे क्योंकि बुद्धिमान मनुष्य अपने से श्रेष्ठ महानुभाव के पास ही आशीर्वाद और प्रेरणा लेने जाते है । कोई भी गधे की श्रेणी का व्यक्ति किसी राष्ट्र के सर्वोच्च पद पर बैठे हुए इतने लोगों को आशीर्वाद और प्रेरणा नहीं दे सकता । जब ये राष्ट्र के वरिष्ठ नेता अगर गधे से निम्न श्रेणी के सिद्ध हुए तो उनको चुनाव के द्वारा उन पदों पर बिठानेवाले और उनके द्वारा शासित होनेवाले राष्ट्र के सभी लोग गधे से निम्न श्रेणी के लोगों से भी निम्न श्रेणी के सिद्ध होगे।
पर इतना विचार करने की क्षमता उन उल्लूओं के पास नहीं है ।अगर वे उल्लू अपने आपको बुद्धिमान सिद्ध करना चाहे तो उनको शासित करनेवालों को महाबुद्धिमान मानना पड़ेगा और उन महाबुद्धिमानों को प्रेरणा और आशीर्वाद देनेवाले संत को संत शिरोमणि मानना ही पड़ेगा ।

जो मनुष्य की श्रेणी के है वे तो अपने अनुभव से जानते है कि सूर्य भगवान् की कृपा से ही पृथिवी के सब जीव, वनस्पति, पशु, पक्षी, मनुष्य आदि  पोषण प्राप्त करते है पर उल्लूओं के पास तो वह दृष्टि ही नहीं है कि वे सूर्य भगवान् को पहचान सके । उल्लू के पास तो दृष्टि नहीं है इसलिए वे सूर्य भगवान् को नहीं पहचानते पर इन उल्लू पत्रकारों के पास तो दृष्टि है पर चांदी के चंद टुकड़ों के लिए अपने धर्मसे, अपनी संस्कृति से और अपने राष्ट्र से गद्दारी करनेवाले उल्लू सूर्य भगवान् के सामर्थ्य और प्रभाव को देखने का बाद भी विधर्मी राष्ट्रविरोधी ताकतों के इशारों पर सूर्य भगवान् को पूछते हैं कि वे किस श्रेणी के है । उनको सूर्य भगवान् और क्या उत्तर से सकते है और उस उत्तर से वे खुश हो गए ये भी उनके उल्लूपने का प्रमाण है ।

ऐसे ही जो मनुष्य है वे जानते है कि पूज्य संत श्री आशारामजी बापू ने सनातन धर्म की रक्षा के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन लगा दिया और विधर्मी ताकतों से सनातन संस्कृत की रक्षा की है ।वे केवल संत नहीं है, वे धर्म की रक्षा के लिए अवतार लेनेवाले भगवान् के नित्य अवतार है ।उनको किसी श्रेणी में कैसे बाँध सकोगे?

आज तक जितने भी अवतार और धर्म की रक्षा करनेवाले सच्चे संत हुए है उनको तत्कालीन धर्म के ठेकेदारों ने महापुरुष या संत माना नहीं था और उनको सताने में कोई कमी नहीं रखी थी फिर भी वे महापुरुष उनको क्षमा करके अपना दैवी कार्य करते रहे ।

भगवान् श्री कृष्ण को यज्ञ करनेवाले धर्म के ठेकेदारों ने भोजन नहीं दिया (श्री मद भागवत दशम स्कंध अध्याय २३), इस से समझ लेना कि कृष्ण भगवान को धर्म के ठेकेदारों ने किस श्रेणी में गिना होगा । महाभारत के युद्ध के बाद उत्तंक तपस्वी तो भगवान् कृष्ण को शाप देने को तैयार हो गए थे, तो उन्होंने भगवान् को किस श्रेणी में गिना होगा इसका अनुमान कर लेना । संत ज्ञानेश्वर और उनको भाइयों को तथा बहन को धर्म के ठेकेदारों ने ब्राह्मण जाती से बाहर कर दिया था और अनेक प्रकार से कष्ट दिए थे ।संत कबीर, संत दादू दीन दयाल, संत रहिदास आदि अनेक सच्चे संतो को धर्म के ठेकेदारों ने महापुरुष मानने से इनकार कर दिया था और उनको सताने में कोई कसर नहीं छोड़ी । आदि जगतगुरु शंकराचार्य की माताजी की अंत्येष्टि में तत्कालीन धर्म के ठेकेदारों ने सहयोग नहीं दिया और उनको माता के शरीर के टुकड़े कर के अग्नि संस्कार करना पडा था । स्वामी विवेकानंद ने कितने कष्ट सहकर अमेरिका में सन 1893 में Parliament of World religions में हिन्दू धर्म का नाम रोशन किया फिर भी तत्कालीन धर्म के ठेकेदारों ने विधर्मी हिन्दू विरोधी ताकतों से मिलकर अमेरिका में स्वामी विवेकानंद भारत के संत नहीं है, चरित्रहीन सन्यासी है ऐसा कुप्रचार किया था. तो सन 1993 में Parliament of World religions में हिन्दूधर्म का नाम रोशन करनेवाले संत श्री आशारामजी बापू हिन्दू धर्म के संत नहीं है ऐसा कुप्रचार वर्त्तमानकालीन धर्म के ठेकेदारों ने विधर्मी हिन्दू विरोधी ताकतों से मिलकर भारत में और मीडिया के द्वारा विश्व में किया हो तो इसमें आश्चर्य क्या है? 

उनके भ्रष्ट और कृतघ्न होने का प्रमाण ये है कि हिन्दू धर्म के सभी 13 अखाड़ा के द्वारा सर्वानुमत से संत श्री आशारामजी बापू को धर्म रक्षा मंच के प्रमुख के रूप में मुंबई में आयोजित एक विशाल कार्यक्रम में नियुक्त किया गया था । जब धर्म रक्षा के कार्य को करने के कारण उनको षड्यंत्र में फंसाकर बिना किसी अपराध के जेल में बंद कर दिया गया तब वही अखाड़ा परिषद् कहती है कि वे उनको संत नहीं मानते । ऐसे जयचंदो और अमीचंदो के कारण ही भारत पर विदेशी आक्रान्ता शासन कर सके थे और आज भी विधर्मी ताकतें हिन्दू संतों को सताने में और हिन्दू धर्म को बदनाम करने में सफल हो रही है । हिन्दू विरोधी ताकतों से हाथ मिलानेवाले तथाकथित धर्म के ठेकेदारों से समाज को सावधान रहना पड़ेगा अन्यथा भारत फिर से गुलाम बन सकता है ।

सच्चे संतों का धर्म के ठेकेदार विरोध करते हैं इसका कारण यही है कि धर्म के ठेकेदारों की दुकानदारी समाज को सुलाने से चलती है और जगे हुए महापुरुष समाज को जगाते है ।तब वे अज्ञान की नींद में सो रहे, खर्राटे लेते हुए धर्म के ठेकेदार कौन जगा हुआ है इस बात का फैसला देने लगते है ।

क्या सोया हुआ मनुष्य ये निर्णय दे सकता है कि कौन जगा हुआ है? फिर भी उनके विरोधों को सहते हुए महापुरुष समाज को जगाने का दैवी कार्य करते ही रहते है ।जब अनादी काल से धर्म के ठेकेदार सच्चे संत महापुरुषों की निंदा करके और उनको सताकर अपने उल्लूपने का परिचय देते आये है तो इस समय किसी सच्चे संत को अखिल विश्व उल्लू परिषद् ने फर्जी बाबा घोषित कर दिया तो उसमें क्या आश्चर्य है । उन्होंने अपने उल्लूपन का ही परिचय दिया है ।जो उनकी जमात के होगे वे उनका समर्थन करेंगे और जो मनुष्य की दृष्टि वाले होगे वे तो सूर्य नारायण की महिमा का स्वयं अनुभव करेंगे, या उनके दैवी कार्यों को देखकर भी समझ जायेंगे कि उल्लू कौन है और सूर्य भगवान् कौन हैं।

         ब्रह्मज्ञानी ब्रह्म स्वरूप होते है, उनकी कोई श्रेणी नहीं होती ।जो तथाकथित धर्म के ठेकेदारों के प्रमाण से संत घोषित होते है वे सच्चे संत नहीं होते
सच्चे संत किसी मत, पंथ, या सम्प्रदाय के गुलाम नहीं होते ।

संत कबीर, गुरु नानक, संत ज्ञानेश्वर, राम कृष्ण परमहंस आदि महापुरुष अपने अनुभव से ब्रह्म स्वरूप थे उनको किसी धर्म के ठेकेदारों के प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं होती । वे एक साथ अपने ब्रह्म स्वरूप में स्वयं को ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश के रूप में भी अनुभव करते है और मच्छर, कीड़े, गधे आदि रूप भी मेरे ही है ऐसा जानते है ।
उनको आप किस श्रेणी के हो? ये पूछना ही पूछनेवाले की मूर्खता का प्रदर्शन है ।
गुरु नानक ने कहा है
ब्रह्मज्ञानी की गति ब्रह्मज्ञानी जाने ।
आजकल के पत्रकार क्या जाने कि ब्रह्मज्ञानी क्या होते है? 
ऐसे मूर्खों को टालने के लिए ब्रह्मज्ञानी ऐसा जवाब दे दे इसमें कोई आश्चर्य नहीं है ।
पूछनेवाला अगर शास्त्रज्ञ होता तो किसी ब्रह्मज्ञानी संत से ऐसा प्रश्न पूछता ही नहीं कि आप किस श्रेणी में आते हो?

इतिहास देख लो वर्तमान में सभी संतों की निंदा हुई है, बाद में उनकी मूर्ति को पूजते है

🚩भारत देश #ऋषि-मुनियों, #साधु-संतों का देश रहा है, उनके ही मार्गदर्शन में राजसत्ता चलती थी, भगवान #श्रीकृष्ण भी #संदीपनी ऋषि के पास जाते थे, भगवान #श्री राम भी उनके गुरु #वशिष्ठ के पास से सलाह सूचन लेने के बाद ही कुछ निर्यण लेते थे, वर्तमान में भी देश सच्चे साधु-संतों के कारण ही देश में सुख-शांति है और देश की संस्कृति जीवित है।

🚩वर्तमान में #विदेशी फंड से चलने वाली #मीडिया द्वारा एक #कुचक्र चल रहा है जिसमें सभी #हिन्दू साधु-संतों को #बदनाम #किया जा रहा है, इसमें अच्छे साधु-संतों को भी बदनाम किया जा रहा है और भारत की भोली जनता भी उन्हीं को सच मानकर अपने ही धर्मगुरुओं की निंदा करने लगी है और बोलते हैं कि पहले जैसे साधु-संत नहीं हैं पर अगर वे भगवान श्री राम के गुरु की योगवासिष्ठ महारामायण पढ़े तो उसमें लिखा है कि हे रामजी मैं बाजार से गुजरता हूँ तो मूर्ख लोग मेरे लिए न जाने क्या-क्या बोलते हैं पर मेरा दयालु स्वभाव है मैं सबको क्षमा कर देता हूँ ।

🚩त्रेतायुग में भी भगवान रामजी जिनको पूजते थे उनको भी जनता ने नही छोड़ा तो आज तो कलयुग है लोगों की मति-गति छोटी है इसलिए साधु-संतों की निंदा करेंगे और उनके भक्तों को अंधभक्त ही बोलेंगे ।

🚩आइये आपको बताते हैं पहले जो महापुरुष हो गए उनकी कैसी निंदा हुई और बाद में कैसे लोग पूजते गए..

🚩स्वामी विवेकानंदजी

🚩अत्याचार : ईसाई #मिशनरियों तथा उनकी कठपुतली बने #प्रताप मजूमदार द्वारा दुश्चरित्रता, स्त्री-लम्पटता,  ठगी, जालसाजी, धोखेबाजी आदि आरोप लगाकर अखबारों आदि के द्वारा बहुत #बदनामी की गयी ।

🚩परिणाम : काफी समय तक उनकी जो निंदाएँ चल रही थी उनका प्रतिकार उनके अनुयायियों ने भारत में सार्वजनिक सभाएँ आयोजित करके किया और अंत में #स्वामी विवेकानंदजी के पक्ष की ही #विजय हुई ।

(संदर्भ : युगनायक विवेकानंद, लेखक - स्वामी गम्भीरानंद, पृष्ठ 109, 112, 121, 122)

🚩महात्मा बुद्ध

🚩अत्याचार : #सुंदरी नामक बौद्ध भिक्षुणी के साथ अवैध संबंध एवं उसकी #हत्या के #आरोप लगाये गये और सर्वत्र घोर #दुष्प्रचार हुआ ।

🚩परिणाम : उनके शिष्यों ने सुप्रचार किया । कुछ समय बाद #महात्मा बुद्ध #निर्दोष साबित हुए । लोग आज भी उनका आदर-सम्मान करते हैं ।

(संदर्भ : लोक कल्याण के व्रती महात्मा बुद्ध, लेखक - पं. श्रीराम शर्मा आचार्य, पृष्ठ 25)

🚩संत कबीरजी

🚩अत्याचार : अधर्मी, शराबी, वेश्यागामी आदि कई घृणित #आरोप लगाये गये और बादशाह #सिकंदर के आदेश से कबीरजी को #गिरफ्तार किया गया और कई प्रकार से सताया गया ।

🚩परिणाम : अंत में #बादशाह ने #माफी माँगी और शिष्य बन गया ।

(संदर्भ : कबीर दर्शन, लेखक - डॉ. किशोरदास स्वामी, पृष्ठ 92 से 96)

🚩संत नरसिंह मेहताजी

🚩अत्याचार : जादू के बल पर स्त्रियों को आकर्षित कर उनके साथ स्वेच्छा से विहार करने के #आरोप लगाकर खूब बदनाम व #प्रताड़ित किया गया ।

🚩परिणाम : #नरसिंह मेहताजी #निर्दोष #साबित हुए । आज भी लाखों-करोड़ों लोग उनके भजन गाकर पवित्र हो रहे हैं ।    (संदर्भ : भक्त नरसिंह मेहता, पृष्ठ 129, प्रकाशन - गीताप्रेस)

🚩स्वामी रामतीर्थ

🚩अत्याचार : #पादरियों और #मिशनरियों ने लड़कियों को भेजकर दुश्चरित्र सिद्ध करने के #षड्यंत्र रचे और खूब #बदनामी की । जान से मार डालने की धमकी एवं अन्य कई प्रताड़नाएँ दी गयी।

🚩परिणाम : स्वामी रामतीर्थजी के सामने बड़ी-बड़ी #मिशनरी #निरुत्तर हो गई। उनके द्वारा प्रचारित वैदिक संस्कृति के ज्ञान-प्रकाश से अनेकों का जीवन आलोकित हुआ ।

(संदर्भ : राम जीवन चित्रावली,  रामतीर्थ प्रतिष्ठान, पृष्ठ 67 से 72)

🚩संत ज्ञानेश्वर महाराज

🚩अत्याचार : कई वर्षों तक समाज से #बहिष्कृत करके बहुत अपमान व निंदा की गयी । इनके माता-पिता को 22 वर्षों तक कभी तृण-पत्ते खाकर और कभी केवल जल या वायु पीके जीवन-निर्वाह करना पड़ा । ऐसी #यातनाएँ ज्ञानेश्वरजी को भी सहनी पड़ी ।

🚩परिणाम : #लाखों-करोड़ों लोग आज भी संत ज्ञानेश्वर जी द्वारा रचित ‘#ज्ञानेश्वरी गीता’ को श्रद्धा से पढ़-सुन के अपने हृदय में #ज्ञान-भक्ति की ज्योति जगाते हैं और उनका #आदर-पूजन करते हैं ।

(संदर्भ : श्री ज्ञानेश्वर चरित्र और ग्रंथ विवेचन, लेखक - ल.रा. पांगारकर, पृष्ठ 32, 33, 38)

🚩भक्तिमती मीराबाई

🚩अत्याचार : चरित्रभ्रष्टता का आरोप लगाया गया । कभी नाग भेजकर तो कभी #विष पिला के, कभी भूखे शेर के सामने भेजकर तो कभी #तलवार चला के जान से #मारने के #दुष्प्रयास हुए ।

🚩परिणाम : जान से मारने के सभी #दुष्प्रयास #विफल हुए । मीराबाई के प्रति लोगों की सहानुभूति बढ़ती गयी । उनके गाये पदोें को पढ़-सुनकर एवं गा के आज भी लोगों के विकार मिटते हैं, भक्ति बढ़ती है ।

🚩#सनातन धर्म के संतों ने जब-जब व्यापकरूप से #समाज को #जगाने का #प्रयास किया है, तब-तब उनको #विधर्मी ताकतों के द्वारा #बदनाम करने के लिए #षड्यंत्र किये गये हैं ।
जिनमें वे हिन्दू संतों को भी मोहरा बनाकर हिन्दू संतों के खिलाफ #दुष्प्रचार करने में सफल हो जाते हैं ।

🚩यह #हिन्दुओं की #दुर्बलता है कि वे विधर्मियों के चक्कर में आकर अपने ही संतों की निंदा सुनकर विधर्मियों की हाँ में हाँ करने लग जाते हैं और उनकी हिन्दू धर्म को नष्ट करने की गहरी साजिश को समझ नहीं पाते । इसे हिन्दुओं का भोलापन भी कह सकते हैं ।

🚩अतः हिन्दू सावधान रहें

स्नान कब ओर केसे करे घर की समृद्धि बढाना हमारे हाथ मे है

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सुबह के स्नान को धर्म शास्त्र में चार उपनाम दिए है।

*1*  *मुनि स्नान।*
जो सुबह 4 से 5 के बिच किया जाता है।
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*2*  *देव स्नान।*
जो सुबह 5 से 6 के बिच किया जाता है।
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*3*  *मानव स्नान।*
जो सुबह 6 से 8 के बिच किया जाता है।
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*4*  *राक्षसी स्नान।*
जो सुबह 8 के बाद किया जाता है।

▶मुनि स्नान सर्वोत्तम है।
▶देव स्नान उत्तम है।
▶मानव स्नान समान्य है।
▶राक्षसी स्नान धर्म में निषेध है।
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किसी भी मानव को 8 बजे के बाद स्नान नही करना चाहिए।
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*मुनि स्नान .......*
👉🏻घर में सुख ,शांति ,समृद्धि, विध्या , बल , आरोग्य , चेतना , प्रदान करता है।
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*देव स्नान ......*
👉🏻 आप के जीवन में यश , किर्ती , धन वैभव,सुख ,शान्ति, संतोष , प्रदान करता है।
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*मानव स्नान.....*
👉🏻काम में सफलता ,भाग्य ,अच्छे कर्मो की सूझ ,परिवार में एकता , मंगल मय , प्रदान करता है।
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*राक्षसी स्नान.....*
👉🏻 दरिद्रता , हानि , कलेश ,धन हानि , परेशानी, प्रदान करता है ।
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किसी भी मनुष्य को 8 के बाद स्नान नही करना चाहिए।
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पुराने जमाने में इसी लिए सभी सूरज निकलने से पहले स्नान करते थे।

*खास कर जो घर की स्त्री होती थी।* चाहे वो स्त्री माँ के रूप में हो,पत्नी के रूप में हो,बेहन के रूप में हो।
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घर के बडे बुजुर्ग यही समझाते सूरज के निकलने से पहले ही स्नान हो जाना चाहिए।
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*ऐसा करने से धन ,वैभव लक्ष्मी, आप के घर में सदैव वास करती है।*
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उस समय...... एक मात्र व्यक्ति की कमाई से पूरा हरा भरा पारिवार पल जाता था , और आज मात्र पारिवार में चार सदस्य भी कमाते है तो भी पूरा नही होता।
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उस की वजह हम खुद ही है । पुराने नियमो को तोड़ कर अपनी सुख सुविधा के लिए नए नियम बनाए है।
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प्रकृति ......का नियम है, जो भी उस के नियमो का पालन नही करता ,उस का दुष्टपरिणाम सब को मिलता है।
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इसलिए अपने जीवन में कुछ नियमो को अपनाये । ओर उन का पालन भी करे।
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आप का भला हो ,आपके अपनों का भला हो।
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मनुष्य अवतार बार बार नही मिलता।
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अपने जीवन को सुखमय बनाये।

जीवन जीने के कुछ जरूरी नियम बनाये।
☝🏼 *याद रखियेगा !* 👇🏽
*संस्कार दिये बिना सुविधायें देना, पतन का कारण है।*
*सुविधाएं अगर आप ने बच्चों को नहीं दिए तो हो सकता है वह थोड़ी देर के लिए रोए।*
*पर संस्कार नहीं दिए तो वे जिंदगी भर रोएंगे।*
ऊपर जाने पर एक सवाल ये भी पूँछा जायेगा कि अपनी अँगुलियों के नाम बताओ ।
जवाब:-
अपने हाथ की छोटी उँगली से शुरू करें :-
(1)जल
(2) पथ्वी
(3)आकाश
(4)वायू
(5) अग्नि
ये वो बातें हैं जो बहुत कम लोगों को मालूम होंगी ।

5 जगह हँसना करोड़ो पाप के बराबर है
1. श्मशान में
2. अर्थी के पीछे
3. शौक में
4. मन्दिर में
5. कथा में

सिर्फ 1 बार भेजो बहुत लोग इन पापो से बचेंगे ।।

अकेले हो?
परमात्मा को याद करो ।

परेशान हो?
ग्रँथ पढ़ो ।

उदास हो?
कथाए पढो ।

टेन्शन मे हो?
भगवत गीता पढो ।

फ्री हो?
अच्छी चीजे फोरवार्ड करो
हे परमात्मा हम पर और समस्त प्राणियो पर कृपा करो......

सूचना
क्या आप जानते हैं ?
हिन्दू ग्रंथ रामायण, गीता, आदि को सुनने,पढ़ने से कैन्सर नहीं होता है बल्कि कैन्सर अगर हो तो वो भी खत्म हो जाता है।

व्रत,उपवास करने से तेज़ बढ़ता है,सर दर्द और बाल गिरने से बचाव होता है ।
आरती----के दौरान ताली बजाने से
दिल मजबूत होता है ।

ये मेसेज असुर भेजने से रोकेगा मगर आप ऐसा नही होने दे और मेसेज सब नम्बरो को भेजे ।

श्रीमद भगवत गीता पुराण और रामायण ।
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''कैन्सर"
एक खतरनाक बीमारी है...
बहुत से लोग इसको खुद दावत देते हैं ...
बहुत मामूली इलाज करके इस
बीमारी से काफी हद तक बचा जा सकता है ...

अक्सर लोग खाना खाने के बाद "पानी" पी लेते है ...
खाना खाने के बाद "पानी" ख़ून में मौजूद "कैन्सर "का अणु बनाने वाले '''सैल्स'''को '''आक्सीजन''' पैदा करता है...

''हिन्दु ग्रंथो मे बताया गया है कि...

खाने से पहले'पानी 'पीना
अमृत"है...

खाने के बीच मे 'पानी ' पीना शरीर की
''पूजा'' है...

खाना खत्म होने से पहले 'पानी'
''पीना औषधि'' है...

खाने के बाद 'पानी' पीना"
बीमारीयो का घर है...

बेहतर है खाना खत्म होने के कुछ देर बाद 'पानी 'पीये...

ये बात उनको भी बतायें जो आपको "जान"से भी ज्यादा प्यारे है...

जय श्री राम

रोज एक सेब
नो डाक्टर ।

रोज पांच बदाम,
नो कैन्सर ।

रोज एक निबु,
नो पेट बढना ।

रोज एक गिलास दूध,
नो बौना (कद का छोटा)।

रोज 12 गिलास पानी,
नो चेहेरे की समस्या ।

रोज चार काजू,
नो भूख ।

रोज मन्दिर जाओ,
नो टेन्शन ।

रोज कथा सुनो
मन को शान्ति मिलेगी ।।

"चेहरे के लिए ताजा पानी"।

"मन के लिए गीता की बाते"।

"सेहत के लिए योग"।

और खुश रहने के लिए परमात्मा को याद किया करो ।

अच्छी बाते फैलाना पुण्य है.किस्मत मे करोड़ो खुशियाँ लिख दी जाती हैं ।
जीवन के अंतिम दिनो मे इन्सान इक इक पुण्य के लिए तरसेगा ।

जब तक ये मेसेज भेजते रहोगे मुझे और आपको इसका पुण्य मिलता रहेगा...

आप स्वस्थ रहे मस्त रहे इसी भावना के साथ!!

*न्यूज़ कवरेज - प्रधान टाइम्स*


*प्रसारित होते ही हजारों ने देखी - 'परिवर्तन'*

इसका मतलब ये हुआ कि दुनिया की माँग ही है कि हम झूठे प्रेम में न फंसकर सच्चे प्रेम की और चलें । ये आपका हमारा सबका दिल चाहता है, कहता है ।
लेकिन इस पाश्चात्य कल्चर के झूठे आकर्षण में फंसकर युवा-युवती तबाही का रस्ता पकड़ लेते हैं ।

इस तबाही के रस्ते को झूठे प्रेम के मोह में ना पकड़ें इस उद्देश्य से #Film_Parivartan का निर्माण किया गया है ।

बात तो ये हुई कि जैसे एक कुँए में भाँग पड़ी है और लोग पीकर मतवाले हो रहें हैं । ये नहीं समझ रहे कि ये कुआ है-डूबकर मर जाओगे । लेकिन 1 पी रहा है तो हजार भी उसी कुँए के पास देखादेखी में नासमझी से दौड़ रहें हैं । उन्हें ये नहीं पता चल रहा कि इससे हमें और हमारे परिवार को कितना कष्ट उठाना पड़ रहा है ।
इसी कारण आज समाज में इस *वैलेंटाइन-डे की गन्दगी को सदा-सदा के लिए समाप्त करने के लिए पूज्य संत श्री #आशारामजी_बापू ने दुनिया भर को एक अनोखी पहल दी - #मातृ_पितृ_पूजन_दिवस_14फरवरी ।*
जिस पर चलकर आज करोड़ों बापू के साधक एवं बच्चे-बच्ची काफी उन्नत हुए हैं और उनके माता-पिता का आशीर्वाद पाकर संसार में भी सुखी और भगवान के दिल में भी जगह बना ली है ।

सभी दुनिया के लोगों से विनती है कि ये फिल्म आप खुद भी पूरी देखें और अपने बच्चों और आने परिवार को भी जरूर दिखायें ।

*#फिल्म_परिवर्तन - 【सच्चे प्यार की ओर】*

यूट्यूब लिंक - https://www.youtube.com/watch?v=mIikGGT99K8

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गाय माता

*०*गाय का घी नाक में डालने से पागलपन दूर होता है।
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०*.*०*गाय का घी नाक में डालने से एलर्जी खत्म हो जाती है।*

०*.*०*गाय का घी नाक में डालने से लकवा का रोग में भी उपचार होता है।.*

*(20-25 ग्राम) घी व मिश्री खिलाने से शराब, भांग व गांझे कानशा कम हो जाता है।*०

*.*०*गाय का घी नाक में डालने से कान का पर्दा बिना ओपरेशन के ही ठीक हो जाता है।*०

*.*०*नाक में घी डालने से नाक की खुश्की दूर होती है और दिमाग तरोताजा हो जाताहै।*०*

.*०*गाय का घी नाक में डालने से कोमा से बाहर निकल कर चेतना वापस लोट आती है।*०

*.*०*गाय का घी नाक में डालने से बाल झडना समाप्त होकर नए बाल भी आने लगते है।

*०*.*०*गाय के घी को नाक में डालने से मानसिक शांति मिलती है, याददाश्त तेज होती है।

*०**०*हाथ पाव मे जलन होने पर गाय के घी को तलवो में मालिश करें जलनठीक होता है।*

०*.*०*हिचकी के न रुकने पर खाली गाय का आधा चम्मच घी खाए, हिचकी स्वयं रुक जाएगी।

*०*.*०*गाय के घी का नियमित सेवन करने से एसिडिटी व कब्ज की शिकायतकम हो जाती है।

*०*.*०*गाय के घी से बल और वीर्य बढ़ता है और शारीरिक व मानसिक ताकत में भी इजाफा होता है*

०*.*०*गाय के पुराने घी से बच्चों को छाती और पीठ पर मालिश करने से कफ की शिकायत दूर हो जाती है।

*०*.*०*अगर अधिक कमजोरी लगे, तो एक गिलास दूध में एक चम्मच गाय का घी और मिश्री डालकर पी लें।*

०*.*०*हथेली और पांव के तलवो में जलन होने पर गाय के घी की मालिश करने से जलन में आराम आयेगा।

*०*.*०*गाय का घी न सिर्फ कैंसर को पैदा होने से रोकता है और इस बीमारी के फैलने को भी आश्चर्यजनक ढंग से रोकता है।

.*०*जिस व्यक्ति को हार्ट अटैक की तकलीफ है और चिकनाइ खाने की मनाही है तो गाय का घी खाएं, हर्दय मज़बूत होता है।*

०*.*०*देसी गाय के घी में कैंसर से लड़ने की अचूक क्षमता होती है। इसके सेवन से स्तन तथा आंत के खतरनाक कैंसर से बचा जा सकता है।*

०*.*०*घी, छिलका सहित पिसा हुआ काला चना और पिसी शक्कर (बूरा) तीनों को समान मात्रा में मिलाकर लड्डू बाँध लें। प्रातः खाली पेट एक लड्डू खूब चबा-चबाकर खाते हुए एक गिलास मीठा गुनगुना दूध घूँट-घूँट करके पीने से स्त्रियों के प्रदर रोग में आराम होता है, पुरुषों का शरीर मोटा ताजा यानी सुडौल और बलवान बनता है.

*०*.*०*फफोलो पर गाय का देसी घी लगाने से आराम मिलता है।

*०*. *०* गाय के घी की झाती पर मालिस करने से बच्चो के बलगम को बहार निकालने मे सहायक होता है।

*०**०*सांप के काटने पर 100 -150 ग्राम घी पिलायें उपर से जितना गुनगुना पानी पिला सके पिलायें जिससे उलटी और दस्त तो लगेंगे ही लेकिन सांप का विष कम हो जायेगा।*

०*.*०*दो बूंद देसी गाय का घी नाक में सुबह शाम डालनेसे माइग्रेन दर्द ठीक होता है।

*०*.*०*सिर दर्द होने पर शरीर में गर्मी लगती हो, तो गाय के घी की पैरों के तलवे पर मालिश करे, सर दर्द ठीक हो जायेगा।*

०*.*०*यह स्मरण रहे कि गाय के घी के सेवन से कॉलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता है। वजन भी नही बढ़ता, बल्कि वजनको संतुलित करता है । यानी के कमजोर व्यक्ति का वजन बढ़ता है, मोटे व्यक्ति का मोटापा (वजन) कम होता है।

*०*एक चम्मच गाय का शुद्ध घी में एक चम्मच बूरा और 1/4 चम्मच पिसी काली मिर्च इन तीनों को मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय चाट कर ऊपर से गर्म मीठा दूध पीने से आँखों की ज्योति बढ़ती है।

*०*.*०*गाय के घी को ठन्डे जल में फेंट ले और फिर घी को पानी से अलग कर ले यह प्रक्रिया लगभग सौ बार करे और इसमें थोड़ा सा कपूर डालकर मिला दें। इस विधि द्वारा प्राप्त घी एक असर कारक औषधि में परिवर्तित हो जाता है जिसे त्वचा सम्बन्धी हर चर्म रोगों में चमत्कारिक कि तरह से इस्तेमाल कर सकते है। यह सौराइशिस के लिए भी कारगर है।

*०*गाय का घी एक अच्छा (LDL) कोलेस्ट्रॉल है। उच्चकोलेस्ट्रॉल के रोगियों को गाय का घी ही खाना चाहिए। यह एक बहुत अच्छा टॉनिक भी है।

*०**०*अगर आप गाय के घी की कुछ बूँदें दिन में तीन बार, नाक में प्रयोग करेंगे तो यह त्रिदोष (वात पित्त और कफ) को संतुलित करता

छत्तीसगढ़ सरकार ने लिया एक बार बहुत बढ़िया

छत्तीसगढ़ सरकार ने लिया एक बार बहुत बढ़िया फैसला हर वर्ष की तरह इस बार भी 14 फरबरी मातृ पितृ पूजन दिवस के तौर पर मनाया जाएगाHariOm,Bahout khushi ki baat hai ki is baar bhi C'gadh sarkaar dvara MPPD event official level par manaya jaayega.Link
http://hindi.revoltpress.com/local/raman-singh-bjp-govt-will-celebrate-matru-pitru-diwas-on-valentine-day/

भारतीय मनोविज्ञान कितना यथार्थ !

पाश्चात्य मनोवैज्ञानिक डॉ. सिग्मंड फ्रायड स्वयं कई शारीरिक और मानसिक रोगों से ग्रस्त था। 'कोकीन' नाम की नशीली दवा का वो व...