सुबह रामायण में बताए ये 2 काम करने से होता है भाग्योदय :-

मित्रो मैने अपनी इस छोटी आयु मे सिर्फ दो लोगो को ही सफल होते देखा है।

१- जिनके सिर पर माता, पिता, गुरू ( डालर गुरू नही ) का आशीर्वाद है।

२ - जो अपने जीवन साथी के प्रति वफादार है' , व उसको सम्मान देते है'.

सुनु जननी सोइ सुत बड़भागी।।
जो पितु मात बचन अनुरागी।।
इस चौपाई का सार यही है
कि किस्मतवाला पुत्र वही होता है, जो हर
वक्त अपने माता-पिता से मधुर
वाणी बोलता है।
संकेत यही है कि आज के भौतिक युग में माता-
पिता और संतान में पैदा हो रही कटुता को खत्म
करने के लिए अहं को दूर कर प्रेम को स्थान दे
तो रिश्तों की पावनता और
गरिमा को जिंदा रखा जा सकेगा। अहं को दूर
करने के लिए संवाद या बोलचाल बेहतर शुरूआत
होती है, लेकिन सबसे जरूरी बात यह
हो कि माता-पिता से संवाद में विनम्रता,
स्नेह, सम्मान और मिठास हो। यही बातें उनके
दिलों को सबसे अधिक सुकून और तसल्ली देंगी।
इनके आगे बड़े से बड़ा भौतिक सुख भी कमतर
होता है। ऐसे रिश्ते व्यक्तिगत रूप से
भी मानसिक सुख और बेहतर ज़िंदगी का आनंद
देगे।

"प्रात:काल उठि कै रघुनाथ।
मात-पिता-गुरु नावइं माथा।।"

इस चौपाई में भगवान राम की माता-पिता और
गुरु के लिए गहरी आस्था और सम्मान का भाव
बताया गया। किंतु इसके जरिए व्यक्तित्व और
चरित्र निखारने का सूत्र है। इस चौपाई
का अर्थ केवल माता-पिता और गुरु को प्रणाम
करने की परंपरा निभाना ही नहीं है
बल्कि भाव यह है कि आप हमेशा ही माता-
पिता और गुरु (जिससे आपने कुछ सीखा या ज्ञान
लिया हो) के लिए पूरा सम्मान, प्रेम और
भरोसा रखें। इससे उनका आपके लिए भरोसा और
उम्मीदें बनी रहेगी। उनके चेहरे, नजरों और
शब्दों में पैदा हुए खुशी और आत्मीयता के भाव
खास तौर पर मुश्किल हालातों में आपका संबल
बनेंगे।
। हरि ॐ । 
पूज्य संत श्री आसाराम जी बापू

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