काश भारत की सरकारें भारतीय संस्कृति की महानता को समझ पाती !!!

एक बार स्वामी विवेकानंद जी विदेश की सबसे बडी लाईब्रेरी में गये उस लाईब्रेरी के चीफ ने उनका बडे उत्साह से स्वागत किया ।

स्वामी विवेकानंद जी ने पूछा आपके यहाँ सबसे श्रेष्ठ ग्रंथ जो हो मैं वो ही पढना चाहता हूँ ।

वो व्यक्ति स्वामी जी को अपने साथ लेकर गया बडे बडे कमरों को लाँघता हुआ वो एक बडे ही भव्य कमरे में पहुँचा उस कमरे के बडे लौकर में बडी ही सेफ्टी लोक्स के अंदर एक सोने के बोक्स में रेशम के कपडे से लिपटा एक ग्रंथ निकालकर स्वामी जी के हाथ में दिया ।

स्वामी विवेकानंद जी की आँखों में आँसू आ गये क्योंकि वो ग्रंथ था श्रीमदभगवदगीता । कितना सम्मान, कितना आदर भारतीय सदग्रंथ का क्योंकी भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन और महान संस्कृति है उस लाईब्रेरी के चीफ ने कहा स्वामी जी ये ग्रंथ सारे विश्व को एक सूत्र में जीना सिखाता है सबको बिना किसी जातपात के मिलकर रहना सिखाता है इसलिए हम हमारे देश में इस ग्रंथ को प्राथमिकता देते हैं ।

आज ब्रिटेन, अमेरिका, न्यजर्सी, आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, थाईलैंड के जैसे कई देशों के स्कूलों में आज भगवदॆगीता, संस्कृत भाषा पढाई जाती है ये कम्पलसरी सब्जैक्ट बन चुका है वहाँ ।
आपको मेरी बात पर यकीन नहीं हो तो देखिये ये विडियो जरूर कैसे अंग्रेज बच्चे जिनसे संस्कृत शुद्ध बोली भी नहीं जाती अपने स्कूलों में संस्कृत के श्लोकों का पाठ करते हैं ।

https://www.youtube.com/watch?v=F4kdjHFBvd4

https://www.youtube.com/watch?v=AsY3NVrviiw

पर बडे दुख के साथ कहना पडता है के भारतीय ग्रंथों और भारतीय संतों की महिमा भारत की सरकार आज भी नहीं समझ पायी है । धन्य है वो लोग जो भारतीय संस्कृति और संतों को समझ पाते हैं और उनका आदर करते हैं ........

https://www.facebook.com/photo.php?v=721828934522606&set=vb.625273207511513&type=2&theater

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