. मीडिया मुजफ्फर नगर दंगों पर शांत
क्यों है ?...पैसे मिल गए या खबर दिखाने के पीछे
जो नियत था वो पूरा हो गया?
• मीडिया निष्पक्ष है तो मौलवियों और
पादरियों के सेक्स स्कैंडल पर लोगों को जागरूक
क्यूँ नहीं करता? •
मीडिया निष्पक्ष है तो सिंघवी के CD पे खामोश
क्यूँ ?• मीडिया निष्पक्ष है तो जम्मू में
मौलवी ने पोर्न दिखा के जो रेप किये और ग्रेस
होम संस्था में जोयौन शोषण हुआ उसपे ट्रायल
क्यूँ नही चलाता ?
• मीडिया निष्पक्ष है तो राहुल और
सुकन्या देवी के रेप केस के मुद्दे पे खामोश
क्यूँ ? •
मीडिया निष्पक्ष है तो जम्मू में हुए दंगो पे
खामोश क्यूँ ? • मीडिया निष्पक्ष है तो एक
मौलवी को एक लड़का चाक़ू इसलिए मारता है
क्यूंकि मौलवी जीने उसके साथ अपाकृतिक यौन
सम्बन्ध बनाया ,फिर मीडिया इस पर खामोश
क्यूँ ?
• मीडिया निष्पक्ष है तो नारायण साईं और संत
आशाराम जी बापू पे आरोप लगाने
वाली दो बहनों कि एक बहन अभी भी आश्रम में
है और उसने कल हीआश्रम छोड़ने से मना कर
दिया, ये क्यूँ नही दिखाता ?
• मीडिया निष्पक्ष है तो आचार्य भोलानंद पे
उनके भाई ने जो आरोप लगाया और उसके ऊपर
अपने पिता के हत्या का जो केस चल रहा वो क्यूँ
नहीदिखाता ?
• मीडिया निष्पक्ष है तो अमृत प्रजापति ने
अपने औरत को बुरका पहना के बापू पर आरोप
लगाने के लिए मीडिया के सामने खड़ा किया था,
ये क्यूँ नहीदिखाता? प्रजापति ने अपने मरीज़
की जान तक ले ली और आश्रम में आने वाले
मरीजों को जांच के नाम पर बाहर महंगे जांच
करवाने भेजता था, येमीडिया क्यूँ नही दिखाता ?
• मीडिया निष्पक्ष है तो ये क्यूँ
नही बताता कि प्रजापति जी ने आश्रम
छोड़ा नहीं था बल्कि उसे निकाला गया था और
निकालते वक़्त का विडियो क्यूँ
नही दिखाता जबकि विडियो Youtube पे
भी है ?
• महेंदर चावला के खिलाफ उसके ही भाइयों और
कई आश्रम में आने वालों ने पैसे चुराने के केस
करवाए हुए हैं ये क्यूँ
नही दिखाता ? चावला जी आश्रम से क्यूँ
निकाले गए इस पे आश्रम का पक्ष क्यूँ
नही दिखाता ?
• मीडिया निष्पक्ष है तो आश्रम में रहने वाले
महिलाओं के भी बयां क्यूँ नही दिखाता आश्रम
से लाइव ?
• मीडिया निष्पक्ष है तो आश्रम में रह रहे
साधकों के बयान क्यूँ नही दिखाता आश्रम में
जा के वहां से लाइव ?
• मीडिया निष्पक्ष है तो आशाराम जी बापू के
जमीं मामलों के तरह वाड्रा के जमीं घोटालों पे
ट्रायल क्यूँ नही चलाता ?
• मीडिया निष्पक्ष है तो आश्रम के
आदिवासी इलाको में किये गए कार्य क्यूँ
नहि दिखाता ?
• मीडिया निष्पक्ष है तो माता पिता पूजन दिवस
के बारे में प्रचार क्यूँ नही करता ?
• मीडिया निष्पक्ष है तो स्वामी लक्ष्मणानंद
के हत्या में आरोपी दलित ईसाईयों और
धर्मान्तरण पे ट्रायल क्यूँ नही चलाता ?
• मीडिया निष्पक्ष है तो राम सेतु के मुद्दे पे
खामोश क्यूँ ? रामसेतु को तोड़ने से जो नुक्सान
सरकार द्वारा गठित कमिटी ने
बताया वो भी तो बताये ?
• मीडिया निष्पक्ष है तो जरा आश्रम
को मिलेधमकी भरे फैक्स
को भी तो दिखाए ,जिसमे आश्रम से ५० करोड़
मांगे गए थे और
फिरौती न देने पे संत और उनके परिवार
को जमीं,रेप और अन्य केसों में फसाने कि बात
कही गयी थी ,इसे क्यूँ नही दिखाता?
और भी बहुत से सवाल हैं जिनका उल्लेख
करना जरूरी है पर मैं समयाभाव में कर
नहीं पा रहा और ये
भी पूछना चाहूँगा कि आशाराम जी बापू पर
आरोप
लगाने से पहले क्या एक पत्रकार के तौर पर
आश्रम और वहां के निवासियों का पक्ष
सुनना जानना क्या पाप है या पत्रकारिता पे कलंग है। मसहापुरूषों की निंदा करने वाला अगर अठसठ
तीर्थों का भी स्नान कर ले और शिवलिँग की बारह शिलाएँ
भी पूज ले।
अगर लोगों के लिए कूँआ,तालाब,प्याऊ
आदि भी लगवा दे,अगर इतने बड़े दान करके भी निँदा करे
तो सब कुछ निष्फल हो जाता है।
भला संतों का निँदक
किस प्रकार तर सकता है,वह सरपर(जरूर)ही नर्क में जाएगा। अगर वह काशीपुरी में आए या कुरूश्रेत्र के मेले में
सारी सिम्रतियाँ कान से सुने कथा के रूप में,पर अगर
निँदा करे तो किसी लेखे में नहीं लगता।
अगर दाता बनकर जगत के भूखों को भोजन कराए,अगर
धरती दान करे,गरीबों को रहने के लिए मकान बनाकर दे दे
और अपना काम बिगाड़कर लोगों के काम सवाँरता फिरे,इतना कुछ करके भी अगर वह
संतों की निँदा करे तो बेअंत टेढ़ी जूनियों में जाएगा।
हे
दुनियाँ के लोगों!निँदा क्यों करते हो,निँदक के
कर्मों का फल साफ स्पष्ट है।
भक्तों ने अच्छी तरह से
शास्त्रों को सोधकर फैसला किया है। रविदास जी कहते हैं
कि निँदक पापी नर्क को जाता है।)" सेवकों की प्रतिज्ञा
भक्त रविदास जी के यह महान और पवित्र उपदेश सुनकर
सारे सेवक उनके चरणों पर गिर पड़े और सभी ने
प्रतिज्ञा की कि वह
कभी भी किसी की निँदा नहीं करेंगे और
ना ही सुनेंगे,क्योकि निँदा सुनने वाला भी बराबर का हकदार होता है।
जब स्वामी विवेकानंद विदेश गए……..
तो उनकी भगवा वस्त्र और पगड़ी देख कर
लोगों ने पूछा:
“ आपका बाकी सामान कहाँ है ?? ”
स्वामी जी बोले…. “ बस यही सामान है ” ….
तो कुछ लोगों ने व्यंग किया कि……. “अरे! यह
कैसी संस्कृति है आपकी?
तन पर केवल एक भगवा चादर लपेट
रखी है…….कोट – पतलून जैसा कुछ
भी पहनावा नहीं है ??”
स्वामी विवेकानंद मुस्कुराए ओर बोले :
“ हमारी संस्कृति आपकी संस्कृति से भिन्न है
….
आपकी संस्कृति का निर्माण आपके दर्जी करते
हैं……
जबकि हमारी संस्कृति का निर्माण
हमारा चरित्र करता है ....!! ”
॥संस्कृति वस्त्रों में नहीं , चरित्र के विकास में
है ।
Hari om to all...ye video jrur dekhe aur share kare..
Ashram News Bulletin (मंगलमय संस्था समाचार -नारायण साँई पर लगे आरोपों का खंडन विशेष ) 16th April-2014 - See more at: http://www.ashram.org/MultiMedia/Videos/VideoPlayer/TabId/404/VideoId/7769/Ashram-News-Bulletin--------------16th-April2014.aspx#sthash.H6AiyBa1.dpuf
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