त्रिपुरारी पूर्णिमा

*त्रिपुरारी पूर्णिमा* 🌷
🙏🏻 *धर्म ग्रंथों के अनुसार,इसी दिन भगवान शिव ने असुरों के तीन नगर(त्रिपुर)का नाश किया था। इसलिए इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं। चूंकि त्रिपुरारी पूर्णिमा भगवान शिव से संबंधित है इसलिए इस बार ये शुभ योग आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी कर सकता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार,इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए विशेष उपाय किए जाएं तो हर परेशानी दूर हो सकती है।*
➡ *आपकी परेशानियां दूर कर सकते हैं ये उपाय*
1⃣ *यदि विवाह में अड़चन आ रही है तो पूर्णिमा को शिवलिंग पर केसर मिला दूध चढ़ाएं । जल्दी ही विवाह के योग बन सकते हैं ।*
2⃣ *मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं । इस दौरान भगवान शिव का ध्यान करते रहें । यह धन प्राप्ति का सरल उपाय है ।*
3⃣ *पूर्णिमा को 21 बिल्व पत्रों पर चंदन से ॐ नम: शिवाय लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं । इससे आपकी इच्छाएं पूरी हो सकती है ।*
4⃣ *पूर्णिमा को नंदी (बैल) को हरा चारा खिलाएं । इससे जीवन में सुख-समृद्धि आएगी और परेशानियों का अंत होगा ।*
5⃣ *गरीबों को भोजन करवाएं ।इससे आपके घर में कभी अन्न की कमी नहीं होगी तथा पितरों की आत्मा को शांति मिलेगी ।*
6⃣ *पानी में काले तिल मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें व ॐ नम: शिवाय का जप करें । इससे मन को शांति मिलेगी ।*
7⃣ *घर में पारद शिवलिंग की स्थापना करें व रोज उसकी पूजा करें । इससे आपकी आमदनी बढ़ाने के योग बनते हैं ।*
8⃣ *पूर्णिमा को आटे से 11 शिवलिंग बनाएं व 11 बार इनका जलाभिषेक करें । इस उपाय से संतान प्राप्ति के योग बनते हैं ।*
9⃣ *शिवलिंग का 101 बार जलाभिषेक करें । साथ ही महा मृत्युंजय *ॐ हौं जूँ सः । ॐ भूर्भुवः स्वः । ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम् उर्व्वारुकमिव बन्धानान्मृत्यो मृक्षीय मामृतात् । ॐ स्वः भुवः भूः ॐ । सः जूँ हौं ॐ ।* *मंत्र का जप करते रहें । इससे बीमारी ठीक होने में लाभ मिलता है ।*
🔟 *पूर्णिमा को भगवान शिव को तिल व जौ चढ़ाएं । तिल चढ़ाने से पापों का नाश व जौ चढ़ाने से सुख में वृद्धि होती है ।*
             🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞

🌷 *भगवान्‌ श्रीकृष्ण* 🌷
👉🏻 *महाभारत, शान्तिपर्व॰ ४७/९२*
*एकोऽपि कृष्णस्य कृतः प्रणामो दशाश्वमेधावभृथेन तुल्यः ।*
*दशाश्वमेधी पुनरेति जन्म कृष्णप्रणामी न पुनर्भवाय ॥*
👉🏻 *नारदपुराण , उत्तरार्ध, ६/३*
*एको हि कृष्णस्य कृतः प्रणामो दशाश्वमेधावभृथेन तुल्यः ।।*
*दशाश्वमेधी पुनरेति जन्म कृष्णप्रणामी न पुनर्भवाय ।। ६-३ ।।*
👉🏻 *स्कन्दपुराण, वैष्णवखण्डः*
*एकोऽपि गोविन्दकृतः प्रणामः शताश्वमेधावभृथेन तुल्यः ।।*
*यज्ञस्य कर्त्ता पुनरेति जन्म हरेः प्रणामो न पुनर्भवाय ।।*
➡ *जिसका अर्थ है।*
*‘भगवान्‌ श्रीकृष्णको एक बार भी प्रणाम किया जाय तो वह दस अश्वमेध यज्ञों के अन्त में किये गये स्नान के समान फल देनेवाला होता है । इसके सिवाय प्रणाम में एक विशेषता है कि दस अश्वमेध करने वाले का तो पुनः संसार में जन्म होता है, पर श्रीकृष्को प्रणाम करनेवाला अर्थात्‌ उनकी शरणमें जानेवाला फिर संसार-बन्धनमें नहीं आता ।’*

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