स्नान कब ओर केसे करे घर की समृद्धि बढाना हमारे हाथ मे है

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सुबह के स्नान को धर्म शास्त्र में चार उपनाम दिए है।

*1*  *मुनि स्नान।*
जो सुबह 4 से 5 के बिच किया जाता है।
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*2*  *देव स्नान।*
जो सुबह 5 से 6 के बिच किया जाता है।
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*3*  *मानव स्नान।*
जो सुबह 6 से 8 के बिच किया जाता है।
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*4*  *राक्षसी स्नान।*
जो सुबह 8 के बाद किया जाता है।

▶मुनि स्नान सर्वोत्तम है।
▶देव स्नान उत्तम है।
▶मानव स्नान समान्य है।
▶राक्षसी स्नान धर्म में निषेध है।
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किसी भी मानव को 8 बजे के बाद स्नान नही करना चाहिए।
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*मुनि स्नान .......*
👉🏻घर में सुख ,शांति ,समृद्धि, विध्या , बल , आरोग्य , चेतना , प्रदान करता है।
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*देव स्नान ......*
👉🏻 आप के जीवन में यश , किर्ती , धन वैभव,सुख ,शान्ति, संतोष , प्रदान करता है।
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*मानव स्नान.....*
👉🏻काम में सफलता ,भाग्य ,अच्छे कर्मो की सूझ ,परिवार में एकता , मंगल मय , प्रदान करता है।
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*राक्षसी स्नान.....*
👉🏻 दरिद्रता , हानि , कलेश ,धन हानि , परेशानी, प्रदान करता है ।
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किसी भी मनुष्य को 8 के बाद स्नान नही करना चाहिए।
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पुराने जमाने में इसी लिए सभी सूरज निकलने से पहले स्नान करते थे।

*खास कर जो घर की स्त्री होती थी।* चाहे वो स्त्री माँ के रूप में हो,पत्नी के रूप में हो,बेहन के रूप में हो।
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घर के बडे बुजुर्ग यही समझाते सूरज के निकलने से पहले ही स्नान हो जाना चाहिए।
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*ऐसा करने से धन ,वैभव लक्ष्मी, आप के घर में सदैव वास करती है।*
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उस समय...... एक मात्र व्यक्ति की कमाई से पूरा हरा भरा पारिवार पल जाता था , और आज मात्र पारिवार में चार सदस्य भी कमाते है तो भी पूरा नही होता।
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उस की वजह हम खुद ही है । पुराने नियमो को तोड़ कर अपनी सुख सुविधा के लिए नए नियम बनाए है।
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प्रकृति ......का नियम है, जो भी उस के नियमो का पालन नही करता ,उस का दुष्टपरिणाम सब को मिलता है।
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इसलिए अपने जीवन में कुछ नियमो को अपनाये । ओर उन का पालन भी करे।
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आप का भला हो ,आपके अपनों का भला हो।
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मनुष्य अवतार बार बार नही मिलता।
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अपने जीवन को सुखमय बनाये।

जीवन जीने के कुछ जरूरी नियम बनाये।
☝🏼 *याद रखियेगा !* 👇🏽
*संस्कार दिये बिना सुविधायें देना, पतन का कारण है।*
*सुविधाएं अगर आप ने बच्चों को नहीं दिए तो हो सकता है वह थोड़ी देर के लिए रोए।*
*पर संस्कार नहीं दिए तो वे जिंदगी भर रोएंगे।*
ऊपर जाने पर एक सवाल ये भी पूँछा जायेगा कि अपनी अँगुलियों के नाम बताओ ।
जवाब:-
अपने हाथ की छोटी उँगली से शुरू करें :-
(1)जल
(2) पथ्वी
(3)आकाश
(4)वायू
(5) अग्नि
ये वो बातें हैं जो बहुत कम लोगों को मालूम होंगी ।

5 जगह हँसना करोड़ो पाप के बराबर है
1. श्मशान में
2. अर्थी के पीछे
3. शौक में
4. मन्दिर में
5. कथा में

सिर्फ 1 बार भेजो बहुत लोग इन पापो से बचेंगे ।।

अकेले हो?
परमात्मा को याद करो ।

परेशान हो?
ग्रँथ पढ़ो ।

उदास हो?
कथाए पढो ।

टेन्शन मे हो?
भगवत गीता पढो ।

फ्री हो?
अच्छी चीजे फोरवार्ड करो
हे परमात्मा हम पर और समस्त प्राणियो पर कृपा करो......

सूचना
क्या आप जानते हैं ?
हिन्दू ग्रंथ रामायण, गीता, आदि को सुनने,पढ़ने से कैन्सर नहीं होता है बल्कि कैन्सर अगर हो तो वो भी खत्म हो जाता है।

व्रत,उपवास करने से तेज़ बढ़ता है,सर दर्द और बाल गिरने से बचाव होता है ।
आरती----के दौरान ताली बजाने से
दिल मजबूत होता है ।

ये मेसेज असुर भेजने से रोकेगा मगर आप ऐसा नही होने दे और मेसेज सब नम्बरो को भेजे ।

श्रीमद भगवत गीता पुराण और रामायण ।
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''कैन्सर"
एक खतरनाक बीमारी है...
बहुत से लोग इसको खुद दावत देते हैं ...
बहुत मामूली इलाज करके इस
बीमारी से काफी हद तक बचा जा सकता है ...

अक्सर लोग खाना खाने के बाद "पानी" पी लेते है ...
खाना खाने के बाद "पानी" ख़ून में मौजूद "कैन्सर "का अणु बनाने वाले '''सैल्स'''को '''आक्सीजन''' पैदा करता है...

''हिन्दु ग्रंथो मे बताया गया है कि...

खाने से पहले'पानी 'पीना
अमृत"है...

खाने के बीच मे 'पानी ' पीना शरीर की
''पूजा'' है...

खाना खत्म होने से पहले 'पानी'
''पीना औषधि'' है...

खाने के बाद 'पानी' पीना"
बीमारीयो का घर है...

बेहतर है खाना खत्म होने के कुछ देर बाद 'पानी 'पीये...

ये बात उनको भी बतायें जो आपको "जान"से भी ज्यादा प्यारे है...

जय श्री राम

रोज एक सेब
नो डाक्टर ।

रोज पांच बदाम,
नो कैन्सर ।

रोज एक निबु,
नो पेट बढना ।

रोज एक गिलास दूध,
नो बौना (कद का छोटा)।

रोज 12 गिलास पानी,
नो चेहेरे की समस्या ।

रोज चार काजू,
नो भूख ।

रोज मन्दिर जाओ,
नो टेन्शन ।

रोज कथा सुनो
मन को शान्ति मिलेगी ।।

"चेहरे के लिए ताजा पानी"।

"मन के लिए गीता की बाते"।

"सेहत के लिए योग"।

और खुश रहने के लिए परमात्मा को याद किया करो ।

अच्छी बाते फैलाना पुण्य है.किस्मत मे करोड़ो खुशियाँ लिख दी जाती हैं ।
जीवन के अंतिम दिनो मे इन्सान इक इक पुण्य के लिए तरसेगा ।

जब तक ये मेसेज भेजते रहोगे मुझे और आपको इसका पुण्य मिलता रहेगा...

आप स्वस्थ रहे मस्त रहे इसी भावना के साथ!!

*न्यूज़ कवरेज - प्रधान टाइम्स*


*प्रसारित होते ही हजारों ने देखी - 'परिवर्तन'*

इसका मतलब ये हुआ कि दुनिया की माँग ही है कि हम झूठे प्रेम में न फंसकर सच्चे प्रेम की और चलें । ये आपका हमारा सबका दिल चाहता है, कहता है ।
लेकिन इस पाश्चात्य कल्चर के झूठे आकर्षण में फंसकर युवा-युवती तबाही का रस्ता पकड़ लेते हैं ।

इस तबाही के रस्ते को झूठे प्रेम के मोह में ना पकड़ें इस उद्देश्य से #Film_Parivartan का निर्माण किया गया है ।

बात तो ये हुई कि जैसे एक कुँए में भाँग पड़ी है और लोग पीकर मतवाले हो रहें हैं । ये नहीं समझ रहे कि ये कुआ है-डूबकर मर जाओगे । लेकिन 1 पी रहा है तो हजार भी उसी कुँए के पास देखादेखी में नासमझी से दौड़ रहें हैं । उन्हें ये नहीं पता चल रहा कि इससे हमें और हमारे परिवार को कितना कष्ट उठाना पड़ रहा है ।
इसी कारण आज समाज में इस *वैलेंटाइन-डे की गन्दगी को सदा-सदा के लिए समाप्त करने के लिए पूज्य संत श्री #आशारामजी_बापू ने दुनिया भर को एक अनोखी पहल दी - #मातृ_पितृ_पूजन_दिवस_14फरवरी ।*
जिस पर चलकर आज करोड़ों बापू के साधक एवं बच्चे-बच्ची काफी उन्नत हुए हैं और उनके माता-पिता का आशीर्वाद पाकर संसार में भी सुखी और भगवान के दिल में भी जगह बना ली है ।

सभी दुनिया के लोगों से विनती है कि ये फिल्म आप खुद भी पूरी देखें और अपने बच्चों और आने परिवार को भी जरूर दिखायें ।

*#फिल्म_परिवर्तन - 【सच्चे प्यार की ओर】*

यूट्यूब लिंक - https://www.youtube.com/watch?v=mIikGGT99K8

⚜ *Facebook Share* - https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=821940104613941&substory_index=0&id=142842975856994

गाय माता

*०*गाय का घी नाक में डालने से पागलपन दूर होता है।
*
०*.*०*गाय का घी नाक में डालने से एलर्जी खत्म हो जाती है।*

०*.*०*गाय का घी नाक में डालने से लकवा का रोग में भी उपचार होता है।.*

*(20-25 ग्राम) घी व मिश्री खिलाने से शराब, भांग व गांझे कानशा कम हो जाता है।*०

*.*०*गाय का घी नाक में डालने से कान का पर्दा बिना ओपरेशन के ही ठीक हो जाता है।*०

*.*०*नाक में घी डालने से नाक की खुश्की दूर होती है और दिमाग तरोताजा हो जाताहै।*०*

.*०*गाय का घी नाक में डालने से कोमा से बाहर निकल कर चेतना वापस लोट आती है।*०

*.*०*गाय का घी नाक में डालने से बाल झडना समाप्त होकर नए बाल भी आने लगते है।

*०*.*०*गाय के घी को नाक में डालने से मानसिक शांति मिलती है, याददाश्त तेज होती है।

*०**०*हाथ पाव मे जलन होने पर गाय के घी को तलवो में मालिश करें जलनठीक होता है।*

०*.*०*हिचकी के न रुकने पर खाली गाय का आधा चम्मच घी खाए, हिचकी स्वयं रुक जाएगी।

*०*.*०*गाय के घी का नियमित सेवन करने से एसिडिटी व कब्ज की शिकायतकम हो जाती है।

*०*.*०*गाय के घी से बल और वीर्य बढ़ता है और शारीरिक व मानसिक ताकत में भी इजाफा होता है*

०*.*०*गाय के पुराने घी से बच्चों को छाती और पीठ पर मालिश करने से कफ की शिकायत दूर हो जाती है।

*०*.*०*अगर अधिक कमजोरी लगे, तो एक गिलास दूध में एक चम्मच गाय का घी और मिश्री डालकर पी लें।*

०*.*०*हथेली और पांव के तलवो में जलन होने पर गाय के घी की मालिश करने से जलन में आराम आयेगा।

*०*.*०*गाय का घी न सिर्फ कैंसर को पैदा होने से रोकता है और इस बीमारी के फैलने को भी आश्चर्यजनक ढंग से रोकता है।

.*०*जिस व्यक्ति को हार्ट अटैक की तकलीफ है और चिकनाइ खाने की मनाही है तो गाय का घी खाएं, हर्दय मज़बूत होता है।*

०*.*०*देसी गाय के घी में कैंसर से लड़ने की अचूक क्षमता होती है। इसके सेवन से स्तन तथा आंत के खतरनाक कैंसर से बचा जा सकता है।*

०*.*०*घी, छिलका सहित पिसा हुआ काला चना और पिसी शक्कर (बूरा) तीनों को समान मात्रा में मिलाकर लड्डू बाँध लें। प्रातः खाली पेट एक लड्डू खूब चबा-चबाकर खाते हुए एक गिलास मीठा गुनगुना दूध घूँट-घूँट करके पीने से स्त्रियों के प्रदर रोग में आराम होता है, पुरुषों का शरीर मोटा ताजा यानी सुडौल और बलवान बनता है.

*०*.*०*फफोलो पर गाय का देसी घी लगाने से आराम मिलता है।

*०*. *०* गाय के घी की झाती पर मालिस करने से बच्चो के बलगम को बहार निकालने मे सहायक होता है।

*०**०*सांप के काटने पर 100 -150 ग्राम घी पिलायें उपर से जितना गुनगुना पानी पिला सके पिलायें जिससे उलटी और दस्त तो लगेंगे ही लेकिन सांप का विष कम हो जायेगा।*

०*.*०*दो बूंद देसी गाय का घी नाक में सुबह शाम डालनेसे माइग्रेन दर्द ठीक होता है।

*०*.*०*सिर दर्द होने पर शरीर में गर्मी लगती हो, तो गाय के घी की पैरों के तलवे पर मालिश करे, सर दर्द ठीक हो जायेगा।*

०*.*०*यह स्मरण रहे कि गाय के घी के सेवन से कॉलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता है। वजन भी नही बढ़ता, बल्कि वजनको संतुलित करता है । यानी के कमजोर व्यक्ति का वजन बढ़ता है, मोटे व्यक्ति का मोटापा (वजन) कम होता है।

*०*एक चम्मच गाय का शुद्ध घी में एक चम्मच बूरा और 1/4 चम्मच पिसी काली मिर्च इन तीनों को मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय चाट कर ऊपर से गर्म मीठा दूध पीने से आँखों की ज्योति बढ़ती है।

*०*.*०*गाय के घी को ठन्डे जल में फेंट ले और फिर घी को पानी से अलग कर ले यह प्रक्रिया लगभग सौ बार करे और इसमें थोड़ा सा कपूर डालकर मिला दें। इस विधि द्वारा प्राप्त घी एक असर कारक औषधि में परिवर्तित हो जाता है जिसे त्वचा सम्बन्धी हर चर्म रोगों में चमत्कारिक कि तरह से इस्तेमाल कर सकते है। यह सौराइशिस के लिए भी कारगर है।

*०*गाय का घी एक अच्छा (LDL) कोलेस्ट्रॉल है। उच्चकोलेस्ट्रॉल के रोगियों को गाय का घी ही खाना चाहिए। यह एक बहुत अच्छा टॉनिक भी है।

*०**०*अगर आप गाय के घी की कुछ बूँदें दिन में तीन बार, नाक में प्रयोग करेंगे तो यह त्रिदोष (वात पित्त और कफ) को संतुलित करता

छत्तीसगढ़ सरकार ने लिया एक बार बहुत बढ़िया

छत्तीसगढ़ सरकार ने लिया एक बार बहुत बढ़िया फैसला हर वर्ष की तरह इस बार भी 14 फरबरी मातृ पितृ पूजन दिवस के तौर पर मनाया जाएगाHariOm,Bahout khushi ki baat hai ki is baar bhi C'gadh sarkaar dvara MPPD event official level par manaya jaayega.Link
http://hindi.revoltpress.com/local/raman-singh-bjp-govt-will-celebrate-matru-pitru-diwas-on-valentine-day/

(17th June’ 2015 to 16th July’ 2015 ) तक अधिक मास

�� अधिक मास माहात्म्य ��

��

�� अधिक मास में सूर्य की संक्रांति (सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश) न होने के कारन इसे ‘मलमास’ (मलिन मास ) कहा गया है | भगवान कृष्ण ने इसका स्वामित्व स्वीकार केर अपना ‘पुरुषोत्तम ’ नाम इसे प्रदान किया है |

��  व्रत विधि  ��

�� इस मास में आँवले व तिल का उबटन शरीर पर मल कर स्नान करना , आँवले के पेड़ के निचे भोजन करना भगवान श्री पुरुषोत्तम को अतिशय प्रिय है , साथ ही यह स्वास्थ्यप्रद और प्रसंन्ताप्रद भी है |

�� इस मास में भगवान के मंदिर , जलाशय या नदी में अथवा तुलसी , पीपल आदि पूजनीय वृक्षों के सम्मुख दीप-दान करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं , दुःख शोकों का नास होता है , वंशदीप बढ़ता है , ऊँचा सान्निध्य मिलता है तथा आयु बढती है |

�� भगवान श्री कृष्ण इस मास की व्रत विधि एवं महिमा बताते हुए कहते हैं : “इस मास में मेरे उद्देश्य से जो स्नान दान जप होम स्वध्याय , पित्रितर्पण तथा देवार्चन किया जाता है , वह सब अक्षय हो जाता है | जिन्होंने प्रमाद से मल मास को खली बिता दिया , उनका जीवन मनुष्य लोक में दारिद्र्य , पुत्रशोक तथा पाप के कीचड़ से निन्दित हो जाता है इसमें संदेह नहीं |”

�� सुगन्धित चन्दन , अनेक प्रकार के फूल , मिष्टान्न , नैवैद्द्य , धुप दीप आदि से लक्ष्मी सहित सनातन भगवान तथा पितामह भीष्म का पूजन करें | घंटा , मृदंग , और शंख की ध्वनि के साथ कपूर और चन्दन से आरती करें | ये न हों तो रुई की बत्ती से ही आरती करें | इससे अनंत फल की प्राप्ति होती है | चन्दन , अक्षत , और पुष्पों के साथ तांबे के पात्र में पानी रख कर भक्ति से प्रातः पूजन के पहले या बाद में अर्घ्य दें | अर्घ्य देते समय भगवान ब्रह्माजी के साथ मेरा स्मरण करके
��  इस मंत्र को बोलें  ��

�� देवदेव महादेव प्रलयोत्पत्तिकारक |‍‌‍
गृहाणार्घ्यंमिमं देव कृपां कृत्वा ममोपरि ||
स्वयम्भुवे नमस्तुभ्यं ब्रह्मणेऽमिततेजसे |
नमोस्तुते श्रीयानन्त दयां कुरु ममोपरि ||

�� ‘हे देवदेव ! हे महादेव ! हे प्रलय और उत्पत्ति करने वाले ! हे देव ! मुझ पैर कृपा केर के इस अर्घ्य को ग्रहण कीजिये | तुझ स्यम्भु के लिए नमस्कार तथा तुझ अमित तेज ब्रह्मा के लिए नमस्कार | हे अनंत ! लक्ष्मीजी के साथ आप मुझ पैर कृपा करें | ’

�� मल मास का व्रत दारिद्रय , पुत्रशोक और वैधव्य का नाशक है | चतुर्दशी के दिन उपवास केर अंत में उद्द्यापन करने से मनुष्य सब पापों से छुट जाता है | यदि दारिद्रय हो तो व्यतिपात योग में , द्वादशी पूर्णिमा , चतुर्दशी , नवमी और अष्टमी के दिन शोक विनाशक उपरोक्त व्रत को करना चाहिए जो उपचार मिल जाये उनसे ही यह कर ले |

�� मलमास में संध्योपासन , तर्पण , श्राद्ध , दान , नियम व्रत ये सब फल देते हैं | इसके व्रत से ब्रह्महत्या आदि सब पाप नष्ट हो जाते हैं |

�� विधिवत सेवते यस्तु पुरुषोत्तममादरात् |
कुलं स्वकीयमुद् धृत्य मामेवैष्यत्यसंशयम् ||

�� प्रति तीसरे वर्ष में पुरुषोत्तम मास के आगमन पर जो व्यक्ति श्रद्धा- भक्ति के साथ व्रत , उपवास , पूजा आदि शुभकर्म करता है , निःसंदेह वह अपने समस्त परिवार के साथ मेरे लोक में पहुँच कर मेरा सानिध्य प्राप्त करता है

�� इस महीने में केवल ईश्वर के उद्देश्य से जो जप , सत्संग व सत्कथा –श्रवण , हरिकीर्तन , व्रत, उपवास स्नान , दान या पूजनादि किये जाते हैं , उनका अक्षय फल होता है और व्रती के संपूर्ण अनिष्ट नष्ट हो जाते हैं | निष्काम भाव से किये जाने वाले अनुष्ठानों के लिए यह अत्यंत श्रेष्ठ समय है| देवी भगवत के अनुसार यदि दान आदि का सामर्थ्य न हो तो संतों- महापुरुषों की सेवा सर्वोत्तम है , इससे तीर्थ स्नानादि के सामान फल होता है |

�� अधिक मास में वर्जित  ��

�� इस मास में सभी सकाम कर्म एवं व्रत वर्जित हैं |जैसे – कुएँ , बावली , तालाब और बाग आदि का आरम्भ तथा प्रतिष्ठा , नवविवाहिता वधु का प्रवेश , देवताओं का स्थापन (देवप्रतिष्ठा) , यज्ञोपवित संस्कार , विवाह , नामकर्म , मकान बनाना , नए वस्त्र और अलंकार पहनना आदि |

�� अधिक मास में करने योग्य ��

�� प्राणघातक रोग आदि की निवृत्ति के लिए रुद्रजाप आदि अनुष्ठान , दान व जप कीर्तन आदि , पुत्रजन्म के कृत्य , पित्रिमरण के श्रद्धादी तथा गर्भाधान , पुंसवन जैसे संस्कार किये जाते हैं |
�� विशेष - बरकत बढ़ाने के लिए अधिक मास मे क्या करे केवल
  �� ~ सुबह के हिन्दू पंचाग~ �� मे ओडियो सहित सुने
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भारतवर्ष में गुरुकुल कैसे खत्म हो गये ? कॉन्वेंट स्कूलों ने किया बर्बाद


1858 में Indian Education Act बनाया गया।
इसकी ड्राफ्टिंग ‘लोर्ड मैकोले’ ने की थी। लेकिन
उसके पहले उसने यहाँ (भारत) के
शिक्षा व्यवस्था का सर्वेक्षण कराया था, उसके
पहले भी कई अंग्रेजों ने भारत के शिक्षा व्यवस्था के
बारे में अपनी रिपोर्ट दी थी। अंग्रेजों का एक
अधिकारी था G.W.Litnar और दूसरा था Thomas
Munro, दोनों ने अलग अलग इलाकों का अलग-अलग
समय सर्वे किया था। 1823 के आसपास की बात है
ये Litnar , जिसने उत्तर भारत का सर्वे किया था,
उसने लिखा है कि यहाँ 97% साक्षरता है और
Munro, जिसने दक्षिण भारत का सर्वे किया था,
उसने लिखा कि यहाँ तो 100 % साक्षरता है, और
उस समय जब भारत में इतनी साक्षरता है और मैकोले
का स्पष्ट कहना था कि भारत को हमेशा-हमेशा के
लिए अगर गुलाम बनाना है तो इसकी “देशी और
सांस्कृतिक शिक्षा व्यवस्था” को पूरी तरह से
ध्वस्त करना होगा और उसकी जगह
“अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था” लानी होगी और
तभी इस देश में शरीर से हिन्दुस्तानी लेकिन दिमाग
से अंग्रेज पैदा होंगे और जब इस देश
की यूनिवर्सिटी से निकलेंगे तो हमारे हित में काम
करेंगे और मैकोले एक मुहावरा इस्तेमाल कर रहा है:
“कि जैसे किसी खेत में कोई फसल लगाने के पहले
पूरी तरह जोत दिया जाता है वैसे ही इसे
जोतना होगा और
अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था लानी होगी।”
इसलिए उसने सबसे पहले
गुरुकुलों को गैरकानूनी घोषित किया, जब गुरुकुल
गैरकानूनी हो गए तो उनको मिलने
वाली सहायता जो समाज के तरफ से
होती थी वो गैरकानूनी हो गयी, फिर संस्कृत
को गैरकानूनी घोषित किया और इस देश के
गुरुकुलों को घूम घूम कर ख़त्म कर दिया उनमे आग
लगा दी, उसमें पढ़ाने वाले गुरुओं को उसने मारा-
पीटा, जेल में डाला।
1850 तक इस देश में ’7 लाख 32 हजार’ गुरुकुल हुआ
करते थे और उस समय इस देश में गाँव थे ’7 लाख 50
हजार’, मतलब हर गाँव में औसतन एक गुरुकुल और ये
जो गुरुकुल होते थे वो सब के सब आज की भाषा में
‘Higher Learning Institute’ हुआ करते थे उन सबमे 18
विषय पढाया जाता था और ये गुरुकुल समाज के
लोग मिल के चलाते थे न कि राजा, महाराजा, और
इन गुरुकुलों में शिक्षा निःशुल्क दी जाती थी।
इस तरह से सारे गुरुकुलों को ख़त्म किया गया और
फिर अंग्रेजी शिक्षा को कानूनी घोषित
किया गया और कलकत्ता में पहला कॉन्वेंट स्कूल
खोला गया, उस समय इसे ‘फ्री स्कूल’
कहा जाता था, इसी कानू न के तहत भारत में
कलकत्ता यूनिवर्सिटी बनाई गयी, बम्बई
यूनिवर्सिटी बनाई गयी, मद्रास यूनिवर्सिटी बनाई
गयी और ये तीनों गुलामी के ज़माने के
यूनिवर्सिटी आज भी इस देश में हैं और मैकोले ने अपने
पिता को एक चिट्ठी लिखी थी बहुत मशहूर
चिट्ठी है वो, उसमें वो लिखता है कि:
“इन कॉन्वेंट स्कूलों से ऐसे बच्चे निकलेंगे जो देखने में
तो भारतीय होंगे लेकिन दिमाग से अंग्रेज होंगे और
इन्हें अपने देश के बारे में कुछ पता नहीं होगा,
इनको अपने संस्कृति के बारे में कुछ पता नहीं होगा,
इनको अपने
परम्पराओं के बारे में कुछ पता नहीं होगा,
इनको अपने मुहावरे नहीं मालूम होंगे, जब ऐसे बच्चे
होंगे इस देश में तो अंग्रेज भले ही चले जाएँ इस देश से
अंग्रेजियत नहीं जाएगी।”
उस समय लिखी चिट्ठी की सच्चाई इस देश में अब
साफ़-साफ़ दिखाई दे रही है और उस एक्ट
की महिमा देखिये कि हमें अपनी भाषा बोलने में
शर्म आती है, अंग्रेजी में बोलते हैं कि दूसरों पर रोब
पड़ेगा, अरे हम तो खुद में हीन हो गए हैं जिसे
अपनी भाषा बोलने में शर्म आ रही है, दूसरों पर रोब
क्या पड़ेगा।
लोगों का तर्क है कि अंग्रेजी अंतर्राष्ट्रीय
भाषा है, दुनिया में 204 देश हैं और अंग्रेजी सिर्फ 11
देशों में बोली, पढ़ी और समझी जाती है, फिर ये
कैसे अंतर्राष्ट्रीय भाषा है। शब्दों के मामले में
भी अंग्रेजी समृद्ध नहीं दरिद्र भाषा है। इन
अंग्रेजों की जो बाइबिल है वो भी अंग्रेजी में
नहीं थी और ईशा मसीह अंग्रेजी नहीं बोलते थे।
ईशा मसीह की भाषा और बाइबिल
की भाषा अरमेक थी। अरमेक
भाषा की लिपि जो थी वो हमारे
बंगला भाषा से मिलती जुलती थी, समय के
कालचक्र में वो भाषा विलुप्त हो गयी। संयुक्त
राष्ट संघ जो अमेरिका में है
वहां की भाषा अंग्रेजी नहीं है,
वहां का सारा काम फ्रेंच में होता है।
जो समाज अपनी मातृभाषा से कट जाता है
उसका कभी भला नहीं होता और यही मैकोले
की रणनीति थी।

सोहम साधना या स्वसो स्वास की साधना

NARAYAN NARAYAN

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बापूजी के सत्संग से :-
पूज्य बापूजी -- संकल्प-त्याग करने
का अभ्यास करने से निश्चय ही
भगवान मिल जाते हैं – इसका मैं ठेका
लेता हूँ।

दो स्वासो के बीच की अवस्था
निसक्ल्प अवस्था होती है

पहली जब अन्दर गया स्वास बाहर आने से पूर्व
ठहरा तब दूसरी जब स्वास बाहर आकर खाली हो गया दूसरा स्वांस आने के पूर्व
का समय तब

साधना चालू होते ही संकल्प
विकल्प कम होने लगते हैं

पांचो शरीरों के पार की आत्मा की ओर
की यात्रा होने लगती है

जीभ तालू में लगादो ( तालू में सुमृति
नाड़ी होती है ) ज्ञानमुद्रा
( तर्जनी उंगली अंगूठे से मिला दो )
में बैठो द्रष्टि नाक
की नोक (नासाग्रह) पर लगा दो

साँस अन्दर जाय तो ॐ बाहर आये
तो 1 फिर अन्दर जाय तो शांति
बाहर आये
तो 2 फिर अन्दर जाय तो ॐ बाहर
आये तो 3
फिर अपने आप को खोजो मैं कोन हूँ
या अपने अहं को खोजो की कहाँ
रहता है ।

जो खोज रहा है उसी को खोज लें ।
बापूजी बोलते हैं ये सबसे मधुर संगीत है

सत्संग में सुना है की बापूजी का ये
जप
तो हर समय चलता ही रहता है केवल
जब वो बोलते हैं बस तभी ही जप
रुकता है ।

एक बार स्वामी लीलाशाजी जी
भगवान ने बापू जी की पत्तनी
(माता लक्ष्मी देवी )
के सर पर हाथ रख दिया था और
उनकी भी ये ही साधना अपने आप
चालू हो गयी ।

दीक्षा के समय भी ये साधना
बापूजी रोज करने को बोलते हैं इसमें
कोई भी नियम नहीं है ।

आप बस में ट्रेन में यात्रा कर रहे
हो या किसी ऑफिस में घर में
दुकान
में हो या कही और हो ये करे जरुर ।

ये योगियो की गुप्त शाम्भवी
मुद्रा है
इससे संत कबीर गुरुनानक जी महावीर
गौतम बुद्ध और भी कई महापुरषो ने
संत्तव को निखारा है

बिल्क के सम्राट इब्राहीम का
सत्संग
भी सुना है बापू की सत्संग की cd
( अहम् को खोजा तो ईश्वर मिला )
में।

उसमे इब्राहीम ये साधना से सुबह
4 :00 बजे से चालू की और सुर्योदय
तक ईश्वर प्राप्ति कर ली ।

जो खोज रहा है उसी को खोज लें ।

रात्रि को सोते समय अगर ये जप करते
करते सो जाये तो योग निद्रा में
प्रवेश हो जाता है

इस साधना के विषय में dvd गुरुप्रसाद
में भी विस्तृत सत्संग है
बापूजी इसे राज मार्ग कहते हैं ।

इस साधना से कई गंभीर रोगों से
भी बचाव होता है

यदि जीभ को दातों के मूल में ( जड़
में ) लगाकर जप किया जाय
तो स्वास्थ्य लाभ होता है

माला स्वासो स्वास की भगत जगत
के बीच जो फेरे सो गुरुमुखी ना फेरे
सो नीच
जिनके निचले कर्म हैं वो ये
साधना नहीं कर सकते

और जो ये साधना करेंगे
वो जल्दी ही गन्दी आदतों से बाहर
आ जायेंगे ।

नानक जी इस साधना के विषय में
कहा
निर्भव जपे सकल भव मिटे संत कृपा ते
प्राणी छूटे ।

जिन खोजा तिन पाइया

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ये आगे का बापूजी का सत्संग है की
नहीं ये मुझे नहीं पता
काकभूषण जी और वशिष्ठ जी का
संवाद :-

सोहम या स्वसोस्वास की साधना
अर्थात स्वासों को गिनना प्राण
कला की साधना है

इसमें प्राणों का अनुसन्धान करके
प्राणों के आने जाने के संधि स्थान में
आया जाता है

अर्थात प्राणों के आने जाने के बीच
में केवली कुम्भक को बढ़ाया जाता
है
प्राणों के आने जाने के बीच की
स्थिति जो है वो आत्मतत्व है
जब अभ्यास करते हैं तो प्राण
शिथिल होते जाते हैं।

इसके प्रभाव से
मन भी शिथिल होता जाता है
क्यूंकि मन ओर पराण एक दुसरे के पूरक हैं
जहा प्राण है वहा मन है
जहा मन है वहा प्राण है

कुछ ही दिनों के अभ्यास से प्राण
धीरे चलने लगेगा और एक समय बाद
कमहोते होते प्राण हृदय में लीन हो
जायेंगे

जब प्राण हृदय में नष्ट हो जायेंगे
अर्थात विलीन हो जायेंगे तो मन
भी जो प्राणों के सहारे चलता है
विलीन हो जायेगा

और हृदय में जो चैतन्य है उसका
साक्षात्कार हो जायेगा।

स्वास लेते समय सो की भावना और
छोडते समय हम की भावना करे
या swasoswas गिने और गुरुभगवान
का सत्संग सुने उनके बताये अनुसार
साधना करे तो साक्षात्कार हो
जाता है


NARAYAN NARAYAN —

रोनाल्ड निक्सन जो कि एक अंग्रेज थे का कृष्ण प्रेम

रोनाल्ड निक्सन जो कि एक अंग्रेज थे कृष्ण प्रेरणा से ब्रज में आकर बस गये …

उनका कन्हैया से इतना प्रगाढ़ प्रेम था कि वे कन्हैया को अपना छोटा भाई मानने लगे थे……

एक दिन उन्होंने हलवा बनाकर ठाकुर जी को भोग लगाया पर्दा हटाकर देखा तो हलवे में छोटी छोटी उँगलियों के निशान थे ……

जिसे देख कर 'निक्सन' की आखों से अश्रु धारा बहने लगी …

क्यूँ कि इससे पहले भी वे कई बार भोग लगा चुके थे पर पहलेकभी ऐसा नहीं हुआ था |

और एक दिन तो ऐसी घटना घटी कि सर्दियों का समय था, निक्सन जी कुटिया के बाहर सोते थे |

ठाकुर जी को अंदर सुलाकर विधिवत रजाई ओढाकर फिर
खुद लेटते थे |

एक दिन निक्सन सो रहे थे……

मध्यरात्रि को अचानक उनको ऐसा लगा जैसे किसी ने उन्हें
आवाज दी हो...  दादा ! ओ दादा !

उन्होंने उठकर देखा जब कोई नहीं दिखा तो सोचने लगे हो
सकता हमारा भ्रम हो, थोड़ी देर बाद उनको फिर सुनाई दिया....  दादा ! ओ दादा !

उन्होंने अंदर जाकर देखा तो पता चला की वे ठाकुर जी को रजाई ओढ़ाना भूल गये थे |

वे ठाकुर जी के पास जाकर बैठ गये और बड़े प्यार से बोले...

''आपको भी सर्दी लगती है क्या...?''

निक्सन का इतना कहना था कि ठाकुर जी के श्री विग्रह से आसुओं की अद्भुत धारा बह चली...

ठाकुर जी को इस तरह रोता देख निक्सनजी भी फूट फूट कर रोने लगे.....

उस रात्रि ठाकुर जी के प्रेम में वह अंग्रेज भक्त इतना रोया कि उनकी आत्मा उनके पंचभौतिक शरीर को छोड़कर बैकुंठ को चली गयी |

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हे ठाकुर जी ! हम इस लायक तो नहीं कि ऐसे भाव के साथ आपके लिए रो सकें.....

पर फिर भी इतनी प्रार्थना करते हैं कि....

''हमारे अंतिम समय में हमे दर्शन भले ही न देना पर……

अंतिम समय तक ऐसा भाव जरूर दे देना जिससे आपके लिए तडपना और व्याकुल होना ही हमारी मृत्यु का कारण बने....''.

बोलिये वृन्दावन बिहारी लाल की जय

((((((((((((((जय जय श्री राधे))))))))))))))
1- कृष्ण के नैन = हमारा चैन !
2- कृष्ण का मस्तक = हमारे भाग्य की दस्तक !
3- कृष्ण का मुख = हमारा सूख !
4- कृष्ण के कान = हमारा ध्यान !
5- कृष्ण का दिल = हमारी मंज़िल !
6- कृष्ण के हाथ = हमारे साथ !
7- कृष्ण के चरण = हमारी शरण !
8- कृष्ण की नाक = हमारी साख !
9- कृष्ण का गला = हमारा भला !
10- कृष्ण की आत्मा = हमारे दुखो का खात्मा !!
जय हो बाकेँ बीहारी जी की����������������

भारतीय मनोविज्ञान कितना यथार्थ !

पाश्चात्य मनोवैज्ञानिक डॉ. सिग्मंड फ्रायड स्वयं कई शारीरिक और मानसिक रोगों से ग्रस्त था। 'कोकीन' नाम की नशीली दवा का वो व...